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उत्तरप्रदेश

बांके बिहारी मंदिर का अनसुलझा रहस्य: कहाँ गया तहखाने का खजाना? 29 अक्टूबर को खुलेगा बैंक के संदूक का राज

वृंदावन में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के तहखाने की जांच के दौरान केवल कुछ बर्तन, एक सोने की छड़, तीन चांदी की छड़ें, कुछ मोती और दो तांबे के सिक्के ही मिले. कहा जा रहा था कि यहां करोड़ों रुपये का खजाना या अन्य मूल्यवान सामान मौजूद है. दो दिन तक इसकी जांच प्रक्रिया चली, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहे और कहावत के अनुसार ‘खोदा, पहाड़ निकली चुहिया’ वाली कहानी साबित हुई.

तहखाने में जो मिला उसके बाद से सवाल उठने लगे हैं कि आखिर खजाना गया कहां? क्या ये वही खजाना है जिसकी चर्चा इतिहासकारों और कई गोस्वामियों द्वारा की जाती रही है? अब इस विषय को लेकर हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी सख्त दिखाई दे रही है. यही कारण है कि कमेटी ने 29 अक्टूबर को एक अहम बैठक बुलाई है. बैठक का नोटिस जारी कर दिया गया है.

लंबे समय से चर्चा में रहे बड़े खजाने की बात का कोई सुराग नहीं मिला. इस बात ने मंदिर प्रशासन और भक्तों के बीच कई सवालों पर चर्चा शुरू हो गई है. हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी ने 29 अक्टूबर को बैठक बुलाई है, जिसमें खजाने को लेकर अहम निर्णय लिए जाने की संभावना है. इस बैठक में 1971 की इन्वेंटरी और बैंक लॉकर में रखे मंदिर के सामान की पहचान और सत्यापन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.

बांके बिहारी हाई पावर कमेटी के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने कहा कि मंदिर के तहखाने में खजाने की चर्चा काफी समय से हो रही है. जांच के दौरान कुछ ही वस्तुएं मिली हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के खजाने को सार्वजनिक करने के लिए सीबीआई जांच की मांग भी की गई है.

कमेटी अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि यह निर्णय मंदिर के खजाने की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है. अभी मिले सामान की इन्वेंटरी बनाई गई है. 29 अक्तूबर को 1971 की इन्वेंटरी को अभी इन्वेंटरी से मिलाकर देखा जाएगा, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि 1971 में जो सामान था, वह अब भी मौजूद है या नहीं. साथ ही बैंक लॉकर में रखे सामान की पुष्टि से यह स्पष्ट हो सकेगा कि 1971 में दर्ज खजाने में क्या था और अब क्या बचा है.

मंदिर प्रशासन ने भक्तों से अनुरोध किया है कि वे 29 अक्टूबर की बैठक तक इस मामले को लेकर अफवाहों पर ध्यान न दें. समिति जल्द ही जांच रिपोर्ट और आगे की कार्रवाई को सार्वजनिक करेगी. इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद ही ठाकुर बांके बिहारी मंदिर का खजाना पूरी तरह से सुरक्षित और पारदर्शी रूप से जनता के सामने आएगा.

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