ब्रेकिंग
खूंटी में खूनी वारदात: मां संग चाचा को आपत्तिजनक हालत में देख बौखलाया बेटा, गुस्से में कर डाला 'काम ... अबूझमाड़ में 'बदलाव' की आहट: गृह मंत्री विजय शर्मा ने लगाई जन चौपाल सूर्य की उपासना का महापर्व छठ शुरू, सरगुजा में घाटों पर लगेगा भक्तों का मेला छत्तीसगढ़ी लोककला हमारी पहचान, जल्द बनेगी फिल्म सिटी : विष्णुदेव साय "पंजाब में 'वीजा स्कैम' का भंडाफोड़! लाइसेंसी इमिग्रेशन सेंटर ने दर्जनों युवाओं को बनाया शिकार, लाखो... Bisleri पीने वालों के लिए शॉकिंग न्यूज़! पानी की क्वालिटी को लेकर आई बड़ी और चौंकाने वाली खबर दिल्ली में 'रेड' और 'ऑरेंज' अलर्ट! 5 इलाकों में दम घोंटू हवा, AQI लगातार गिर रहा, प्रदूषण के कहर से ... न्यूयॉर्क में भारत का गौरव! महंत स्वामी महाराज को 'इंटरनेशनल फोरम ऑन फेथ अवार्ड', समुदाय निर्माण में... हाँ, बिहार के इस अनोखे और अजीबोगरीब मामले पर केंद्रित कुछ मिलते-जुलते शीर्षक सुझाव यहाँ दिए गए हैं: ... बिहार चुनाव: अमित शाह बोले- 'जंगलराज की वापसी असंभव', राहुल-तेजस्वी की जोड़ी पर साधा निशाना, घुसपैठि...
धार्मिक

छठ पूजा 2025: बांस या पीतल का सूप, कौन सा है अधिक शुभ और क्यों? जानें इसकी धार्मिक महत्ता

आज से लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शुरू हो चुकी है. ये महापर्व चार दिनों का होता है. आज नहाय-खाय है. कल खरना होगा. परसो अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके बाद 28 अक्टूबर को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पूजा संपन्न हो जाएगी. इस महापर्व में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. इस पर्व का भारत के कई राज्यों में विशेष महत्व है. इसमें बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश शामिल है. छठ के मौके पर भगवान सूर्य और छठी मैया पूजी जाती है.

छठ पूजा में उपायोग होने वाला हर एक वस्त्र, बर्तन और सामग्री विशेष महत्व रखती है. इन्हीं में शामिल है सूप या सुपा. सुपा छठ पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, लेकिन लोगों के मन में अक्सर ये सवाल उठता है कि छठ पूजा में पीतल का सुपा उपयोग करना सही और शुभ रहता है या बांस के सुपा का. आइए इस बारे में जानते हैं.

बांस का सुपा

छठ पूजा का व्रत संतान की वृद्धि, सफलता और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है. छठ पूजा में बांस का सुपा पौराणिक समय से ही उपायोग किया जा रहा है. बांस का सुपा पूरी तरह प्राकृतिक और सात्विक माना जाता है. मान्यता है कि जैसे आठ सप्ताह में बांस की 60 फीट ऊंचाई तेजी से बढ़ती है, वैसे ही इस बांस के सूप में व्रत की पूजा करने से संतान को जीवन में सफलता तेजी से मिलती है. बांस के सुपा में ठेकुआ, फल, और अन्य प्रसाद सजाकर अर्घ्य दिया जाता है, जिसे प्रकृति और सूर्य देव के प्रति श्रद्धा को शुद्धतम रूप में व्यक्त करना माना जाता है.

पीतल का सुपा

आधुनिक समय में छठ के व्रत के अनुष्ठान में पीतल के सूप, परात और पूजा के कलश का उपयोग भी देखा जाने लगा है. शास्त्रों में बताया गया है कि पीली चीजें सूर्य भगवान का प्रतीक हैं. पीतल या फुल्हा बर्तन भी पीला होता है. छठ व्रत में भगवान सूर्य को पीतल के सुपा में भी अर्घ्य दिया जा सकता है.

कौनसा सुपा है सही और शुभ?

दोनों ही सूप का अपना-अपना महत्व है. बांस का सुपा प्रकृति, परंपरा और श्रद्धा का प्रतीक बताया जाता है, तो पीतल का सुपा वैभव और समृद्धि का प्रतीक है. परंपरागत रीति से पूजा करने के लिए बांस का सुपा शुभ और सही रहता है. वहीं पूजा में शुद्धता के साथ आधुनिकता को भी शामिल करना हो तो पीतल का सुपा शुभ रहता है.

Related Articles

Back to top button