धार्मिक
तुलसी का श्राप बना वरदान: कैसे वृंदा के शाप से भगवान विष्णु को शालिग्राम बनना पड़ा, जानें पूरी पौराणिक कथा

हिंदू धर्मग्रंथों में तुलसी और भगवान विष्णु की कथा को अत्यंत पवित्र और भावनात्मक माना गया है. यह कथा भक्ति, निष्ठा और प्रेम की पराकाष्ठा को दर्शाती है. तुलसी विवाह का पर्व इसी दिव्य मिलन का प्रतीक है, जब माता तुलसी (लक्ष्मी स्वरूपा) और भगवान विष्णु (शालिग्राम रूप) का पुनर्मिलन होता है. यह कथा यह भी बताती है कि ईश्वर अपने भक्त के प्रेम से इतने बंधे होते हैं कि श्राप को भी आशीर्वाद बना देते हैं. तुलसी और विष्णु का यह संबंध सिखाता है कि सच्ची भक्ति और पवित्र प्रेम सभी विपरीत परिस्थितियों को मंगलमय बना देते हैं.






