चौथी बार सीएम बनेंगे येद्दयुरप्पा, संघ कार्यालय पहुंचकर लिया आशिर्वाद

बेंगलुरु। Yeddyurappa be CM for fourth time in Karnataka कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार (Congress-JD (S) coalition government) गिरने के बाद भाजपा ने सरकार बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। सूत्रों की मानें तो राज्य भाजपा प्रमुख बीएस येद्दयुरप्पा जल्द ही सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। ऐसे में भाजपा यदि राज्य की सत्ता में दोबारा लौटती है तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री के तौर पर यह उनका चौथा कार्यकाल होगा।
कांग्रेस चाहेगी तो साथ नहीं तो अकेले चलेंगे : कुमारस्वामी
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि कांग्रेस नेताओं ने फ्लोर टेस्ट के मसले पर हमसे चर्चा नहीं की थी। अब वे भी आजाद हैं और हम भी। यदि वे चाहते हैं कि हम उनके साथ रहें तो गठबंधन रहेगा अन्यथा अकेले काम करेंगे और अपनी पार्टी को मजबूत करेंगे। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने कहा कि गठबंधन सरकार गिरने का हमें कोई अफसोस नहीं है। हम इसके लिए किसी को दोष नहीं दे रहे हैं।
येद्दयुरप्पा ने शाह को लिखा पत्र
येदियुरप्पा ने कहा है कि वह सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करेंगे। उसके बाद ही गवर्नर से मुलाकात करने के लिए जाएंगे। उन्होंने अगली रणनीति के लिए पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है। येदियुरप्पा ने अमित शाह को पत्र लिखकर कहा है कि पार्टी से मिले समर्थन के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। दूसरी ओर राज्य में भाजपा कार्यकार्ताओं ने सरकार बनने की संभावनाओं को लेकर जश्न मनाना शुरू कर दिया है।
संघ के नेताओं से लिया आशिर्वाद
नई सरकार गठन की कोशिशों के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता बीएस येद्दयुरप्पा (BS Yeddyurappa) बेंगलुरु (Bengaluru) के चामराजपेट (Chamrajpet) में संघ कार्यालय पहुंचे। उन्होंने कहा कि मैं संघ परिवार के वरिष्ठ नेताओं का आशिर्वाद लेने आया हूं। मैं दिल्ली से आने वाले निर्देशों का इंतजार कर रहा हूं। इसके बाद कभी भी सरकार बनाने का दावा पेश किया जा सकता है।
2007 में पहली बार बने थे सीएम
76 वर्षीय येद्दयुरप्पा पहली बार साल 2007 में कर्नाटक के सीएम बने थे लेकिन जेडीएस के समर्थन वापस लेने की वजह से सात दिन बाद ही उनकी सरकार गिर गई थी और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। साल 2008 में उन्होंने फिर राज्य की सत्ता में वापसी का रास्ता बनाया था लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण वह कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। उनका दूसरा कार्यकाल मई 2008 से जुलाई 2011 तक रहा।
साल 2018 में छोड़ना पड़ा था सीएम पद
साल 2012 में उन्होंने नई पार्टी कर्नाटक प्रजा पक्ष नाम से नई पार्टी बनाई थी लेकिन साल 2014 के चुनाव से पहले वह फिर भाजपा में शामिल हो गए। यही नहीं उन्होंने शिमोगा से लोकसभा चुनाव भी जीता था। साल 2018 में उन्होंने कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली लेकिन विधानसभा चुनाव में बहुमत के आंकड़ा पार नहीं कर पाए, नतीजतन विश्वास मत खोने के कारण एकबार फिर सत्ता से वंचित रहना पड़ा। अब जबकि बहुमत का आंकड़ा घट गया है, वह दोबारा सीएम पद की रेस में हैं।
भाजपा का फुलप्रुफ प्लॉन तैयार
सूत्रों की मानें तो भाजपा ने सरकार गठन का फुलप्रुफ प्लॉन तैयार कर लिया है। वहीं मुंबई में डेरा डाले कांग्रेस-जेडीएस के बागी विधायकों ने येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ही राज्य में लौटने का फैसला किया है। कांग्रेस ने भाजपा पर विधायकों को फोड़ने का आरोप लगाया है। हालांकि, बागी विधायक पहले ही साफ कर चुके हैं कि उनके इस्तीफों और सरकार से समर्थन वापसी में भाजपा का कोई हाथ नहीं है।
याचिका वापस लेने का अनुरोध
इन सबके बीच, कर्नाटक के दो निर्दलीय विधायकों ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस लेने का अनुरोध किया है जिसमें उन्होंने विश्वास प्रस्ताव पर जल्द वोटिंग कराने का निर्देश देने की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ को विधायकों आर. शंकर और एच. नागेश के वकील ने बताया कि विश्वास मत पर वोटिंग हो जाने के बाद अब वे अपनी याचिकाएं वापस लेना चाहते हैं।
शराब की बिक्री से प्रतिबंध हटा
इस बीच, बेंगलुरु (Bengaluru) पुलिस आयुक्त आलोक कुमार (Bengaluru Commissioner of Police Alok Kumar) ने आज यानी बुधवार शाम छह बजे से शराब की बिक्री पर से प्रतिबंध हटा लिया है। इससे पहले शहर के सभी पबों और शराब की दुकानों को 25 जुलाई तक बंद करने के निदे्रश जारी किए गए थे। बता दें कि राज्य में कल विश्वास मत के लिए होने वाली वोटिंग को देखते हुए बेंगलुरु में 48 घंटे के लिए धारा 144 लागू कर दी गई थी।
ज्ञात हो कि सत्तारूढ़ गठबंधन के 16 विधायकों के सदन की सदस्यता से इस्तीफा देने और दो निर्दलीय विधायकों के सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद एचडी कुमारस्वामी ने विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया था। मंगलवार शाम को प्रस्ताव पर मतदान कराया गया, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने सरकार के विश्वास मत हारने की घोषणा की। जदएस-कांग्रेस के 17, बसपा के एक और दो निर्दलीय विधायकों ने कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया।