ब्रेकिंग
छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को दीपावली गिफ्ट, 17-18 अक्टूबर को वेतन, दैनिक वेतनभोगियों को भी भुगतान जैसलमेर हादसा: 'मानक ताक पर रखकर बनी थी बस', जांच कमेटी ने माना- इमरजेंसी गेट के सामने लगाई गई थी सी... 'कांतारा चैप्टर 1' ने किया गर्दा! 15 दिन में वर्ल्डवाइड ₹679 करोड़ पार, विक्की कौशल की 'छावा' से महज... वेनेजुएला पर ऑपरेशन से तनाव: दक्षिणी कमान के प्रमुख एडमिरल होल्सी ने कार्यकाल से पहले दिया इस्तीफा, ... शेयर बाजार में धन वर्षा! सिर्फ 3 दिनों में निवेशकों की संपत्ति ₹9 लाख करोड़ बढ़ी, सेंसेक्स और निफ्टी... त्योहारी सीजन में सर्वर हुआ क्रैश: IRCTC डाउन होने से टिकट बुकिंग रुकी, यात्री बोले- घर कैसे जाएंगे? UP पुलिस को मिलेगी क्रिकेटरों जैसी फिटनेस! अब जवानों को पास करना होगा यो-यो टेस्ट, जानिए 20 मीटर की ... दिन में सोना अच्छा या बुरा? आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान क्या कहता है, किन लोगों को नहीं लेनी चाहिए 'द... प्रदूषण का 'खतरा' घर के अंदर भी! बढ़ते AQI से बचने के लिए एक्सपर्ट के 5 आसान उपाय, जानें कैसे रखें ह... शरीयत में बहुविवाह का नियम: क्या एक मुस्लिम पुरुष 4 पत्नियों के होते हुए 5वीं शादी कर सकता है? जानें...
विदेश

तालिबान नेता ने कहा, महिलाओं को पुरुषों के साथ काम करने की नहीं हो अनुमति

नई दिल्ली। अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा जमाने वाले तालिबान के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि अफगान महिलाओं को पुरुषों के साथ काम करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। अगर इस नेता की बातों को औपचारिक तौर पर मान लिया जाता है तो अफगानिस्तान में महिलाओं के सरकारी दफ्तरों, बैंक, मीडिया और अन्य जगहों पर काम करने पर रोक लग जाएगी।

तालिबान नेतृत्व के करीबी वहीदुल्ला हासिमी ने कहा कि महिलाओं को उनका मनचाहा काम करने की अनुमति देने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद समूह शरिया को पूरी तरह से लागू करेगाय। हासिमी ने कहा, ‘हमने अफगानिस्तान में शरिया कानून व्यवस्था लागू करने के लिए चार दशकों तक लड़ाई लड़ी है। शरिया महिलाओं और पुरुषों को एक साथ काम करने या एक छत के नीचे साथ बैठने की अनुमति नहीं देता है।’ उसने कहा कि यह स्पष्ट है कि महिला और पुरुष एक साथ काम नहीं कर सकते हैं। महिलाओं को हमारे दफ्तरों और मंत्रालयों में आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

तालिबान ने महिलाओं को लेकर वादा तोड़ा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की प्रमुख मिशेल बाचेलेत ने कहा है कि तालिबान ने महिलाओं के मामले में अपने वादों को पूरा नहीं किया है। उन्होंने मानवाधिकार परिषद को बताया कि तालिबान के कब्जे के बाद उसके द्वारा की गई बातों से जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। तालिबान के शासन में महिलाएं, अल्पसंख्यक, जातीय और धार्मिक समुदाय अपने अधिकारों के प्रति चिंतित हैं। पिछले तीन सप्ताह के तालिबान के कार्य निराश करने वाले हैं। तालिबान ने कहा था कि वह महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण करेगा, लेकिन ऐसा हकीकत में नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने पूर्व सुरक्षा अधिकारियों और कर्मचारियों को आम माफी के वादे को भी पूरा नहीं किया है।

Related Articles

Back to top button