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कड़ाके की ठंड में कूड़ा-करकट जलाने को मजबूर लोग, प्रशासन ने नहीं की अलाव की व्यवस्था

फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में मुसाफिरों के लिए वैकल्पिक सुविधा युक्त रैन बसेरों के प्रबंध व शहर में जगह-जगह अलाव की व्यवस्था करने में सरकार असर्मथ है। साथ ही जिले में रैन बसेरे को भी मुसाफिरों के लिए नहीं खोले गए हैं। नतीजा यह है कि दूर-दराज से आने जाने वाले मुसाफिरों को सर्द भरी रातों में खुले आसमान के नीचे रात काटनी पड़ रही है।

ठंड ने बेआसरे लोगों की चिंता बढ़ा दी है। वास्तव में रोजी-रोटी की के लिए शहर का रुख करने वाले मजदूरों और रिक्शा चालकों को रात में अलाव की सख्त जरूरत रहती है। इसके बाद भी अलाव जलते कहीं नजर नहीं आते। नियम तो यह है कि रेलवे स्टेशन के बाहर, बस अड्डे के बाहर, अस्पताल परिसरों के बाहर और प्रमुख चौराहों पर अलाव शाम से ही जलने चाहिए। अलाव में इतनी लकड़ी होनी चाहिए कि कम से कम 12 घंटे यानि रात भर जल जाए, लेकिन अलाव जलते कहीं नजर नहीं आते। इतना जरूर है कि रिक्शा चालक और मजदूर सार्वजनिक स्थलों पर रुकने के दौरान कूड़ा-करकट एकत्र कर जला लेते हैं और इसी की तपिश में राहत पाते हैं।

वहीं, प्रशासन द्वारा कहीं भी आलाव जलाने का प्रबंध नहीं किया गया है। ठंड में वृद्ध एवं बीमार लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ गई है। दूर-दराज से आने वाले गरीब कई बार रात हो जाने से साधन के अभाव में वापस अपने घर नहीं लौट पाते हैं, ऐसे में उनके सामने रुकने की समस्या खड़ी हो जाती है। क्योंकि उनके पास इतना पैसा नहीं होता कि वह होटल या लॉज का खर्च कर सकें। कुछ लोग निजी तौर पर अलाव की व्यवस्था किए हैं, जिससे उस जगह पर लोगों को ठंड से आंशिक राहत मिल रही है। लोग कचरा व लकड़ी चुन कर किसी तरह अलाव जला रहे हैं।

एक यात्री के अनुसार, ठंड के समय खुले में रात बिताने वालों को आसामाजिक तत्वों से डर भी बना रहता है। रात को रोडवेज बस स्टेशन पर रैनबसेरा बंद पड़े हैं और यात्रियों को फर्श पर ही लेटना पड़ता है। रोडवेज बस स्टेशन पर यात्री, रिक्शा चालक व अन्य लोग कूड़ा जलाकर ही ठंड से राहत ले रहे हैं। वहीं, पालिका व राजस्व विभाग की ओर से अभी तक अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है, जबकि इस मामले में सिटी मजिस्ट्रेट दीपाली भार्गव से बात की गई तो उन्होंने बताया की शहर में अलाव जलाए जा रहे हैं।

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