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महिलाओं को होता है ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा ज्‍यादा, 30 के बाद हड्डियों की सेहत का ऐसे रखें ध्यान

ऑस्टियोपोरोसिस क्या है-ऑस्टियोपोरोसिस हड्डी का एक चयापचय रोग है, जिसके कारण हड्डी के घनत्व में कमी हो जाती है। प्रभावित हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है और हड्डियां अधिक नाजुक हो जाती हैं, और इसलिए इनके टूटने की संभावना अधिक होती है, जिसके परिणामस्वरूप फ्रैक्चर होते हैं।

ओस्टीयोमलेशिया क्या है-ऑस्टियोमेलेशिया हड्डियों से जुड़ी बीमारी है। व्यस्कों में हड्डी के मुलायम होने को ओस्टीयोमलेशिया’ कहते हैं। बच्चों में इस रोग को रिकेट्स कहते हैं। ये आमतौर पर विटामिन डी की कमी के कारण होता है। इस रोग के होने पर अस्थियों में खनिजन पर्याप्त मात्रा में नहीं होता। सही समय पर इसका इलाज ना किया जाए तो यह अपना भयावह रूप धारण कर सकती है। जिससे हड्डियों के मुड़ने व टूटने का डर रहता है।

महिलाओं में क्यों बना रहता है ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा ज्‍यादा-एक सर्वे के मुताबिक, भारत में 5 युवा वयस्‍कों में से एक लो बोन मास का शिकार है। महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा ज्‍यादा होता है क्‍योंकि मेनोपॉज़ के बाद इस्‍ट्रोजेन घटने से हडि्डयां कमज़ोर पड़ने लगती हैं।

लो बोन मास का पता कैसे लगाएं- इसके लिए डैक्‍सा स्‍कैन टैस्‍ट किया जाता है जो शरीर के खास भागों जैसे कि कूल्‍हे, मेरूदंड और कलाई आदि पर बोन मिनिरल कन्‍टेंट का पता लगाता है।

डॉ कौशल कांत मिश्रा, के अनुसार यह जरूरी नहीं है कि वृद्धावस्था बोन लॉस और ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बने। आपकी उम्र चाहे कुछ भी हो, बोन लॉस से बचाव के उपाय किए जा सकते हैं।

हड्डियों की सेहत में सुधार लाने के लिए फॉलो करें ये टिप्स- 1) कम उम्र से करें शुरुआत – ज्‍यादातर युवतियों में 25 से 30 वर्ष की अवस्‍था में पीक बोन मास होता है। जितना अधिक बोन मास होगा उतना ही ज्‍यादा व़द्धावस्‍था में हडि्डयां मजबूत बनी रहेंगी।
2) शराब और धूम्रपान से दूर रहने की कोशिश करें।3) वज़न उठाने वाले व्‍यायाम करें – इनसे मांसपेशियों के साथ-साथ आपकी हडि्डयां भी मजबूत बनती हैं और साथ ही, व्‍यायाम से आपको कार्डियोवास्‍क्‍युलर लाभ भी मिलते हैं। 4) संतुलित भोजन- प्रोटीन युक्‍त खुराक का सेवन करें । प्रतिदिन 1000 मिलीग्राम कैल्शियम के सेवन की सलाह दी जाती है। इसे डेयरी और नॉन-डेयरी प्रोडक्‍ट्स से प्राप्‍त किया जा सकता है। दिनभर में समय-समय पर कैल्शियम के सेवन से इसका अवशोषण सही ढंग से होता है। फैटी फिश, अंडों, दूध, सॉय मिल्‍ट में विटामिन डी की मात्रा 800 IU प्रतिदिन है। 5) डॉक्‍टर से परामर्श लें- यदि आप पहले से दवाओं का सेवन कर रहे हैं या ऐसी कोई स्थिति है जिसकी वजह से लो बोन मास का खतरा है, तो अपने डॉक्‍टर से सलाह जरूर लें।

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