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एक और सफलता की ओर चंद्रयान 2, ऑर्बिटर भेजेगा चांद के हमेशा अंधेरे में रहने वाले इलाके की तस्वीर

चांद (Moon) की सतह पर उपस्थित लैंडर विक्रम (Lander Vikram) की लोकेशन का तो पता चल चुका है, लेकिन अब तक उससे संपर्क नहीं हो पाया है. इस बीच इसरो के दूसरे मून मिशन चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) का ऑर्बिटर (Orbiter) अपने काम को बेहतर तरीके से अंजाम दे रहा है. सबसे खास बात ये है कि ऑर्बिटर चांद की उन जगहों की हाई रेजॉल्यूशन वाली तस्वीरें भेजेगा, जहां हमेशा अंधेरा छाया रहता है.

उन इलाकों में सूर्य की किरणें कभी नहीं पहुंचतीं. आज तक कोई भी मून मिशन इस इलाके की तस्वीरें लेने में नहीं सक्षम रहा है. ये तस्वीरें पूरी दुनिया के लिए नई बात होंगी. ये अपने आप में चंद्रयान 2 की बहुत बड़ी सफलता है. ऑर्बिटर इस वक्त चांद की सतह से करीब 100 किमी के ऊपर चक्कर लगा रहा है.

इसरो के पूर्व अध्यक्ष ने इसके बारे में बताया
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने मीडिया से बताया, ‘हमें चंद्रयान 1 से ज्यादा अच्छे रिजल्ट की उम्मीद है. इसकी मुख्य वजह इस मून मिशन के ऑर्बिटर (Orbiter) में माइक्रोवेव ड्यूल-फ्रिक्वेंसी सेंसर्स का होना है, जिससे हम चांद के हमेशा अंधकार में डूबे रहने वाले क्षेत्रों की मैपिंग कर पाएंगे.’ आगे उन्होंने बताया कि चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर में बड़े हाई रेजॉल्यूशन वाले स्पेक्ट्रल रेंज के काफी आधुनिक कैमरे मौजूद हैं.


क्या लैंडर से फिर संपर्क हो सकता है
लैंडर में ऐसे उपकरण हैं, जिससे धरती और आर्बिटर से उससे संपर्क साधा जा सकता है. लेकिन फिलहाल ऐसा लग रहा है कि लैंडर की पॉवर यूनिट फेल हो गई है और उसके पूरे सिस्टम ने काम बंद कर दिया है. हालांकि अब भी तक किसी को नहीं मालूम कि विक्रम की किस खामी के कारण संपर्क टूटा है.

क्या इस संपर्क की कोई सीमा भी है

बिल्कुल जिस तरह हर चीज की एक डेडलाइन होती है, उसी तरह इसकी भी समयसीमा है. उसके बाद संभव है कि लैंडर विक्रम से कभी संपर्क नहीं किया जा सके. ये तभी होगा, जब वो पूरी तरह डेड व्यवहार करने लगे. हालांकि अब भी वो उसी तरह का व्यवहार कर रहा है लेकिन अभी वैज्ञानिकों को लग रहा है कि लैंडर में कुछ उपकरण ऐसे हैं, जिन्हें पृथ्वी से भेजे जा रहे रेडियो सिगनल्स का जवाब देना चाहिए.

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