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जोशीमठ की दरकती जमीन के लिए सुरंग जिम्मेदार नहीं : एनटीपीसी  

देहरादून । जोशीमठ संकट के चलते एनटीपीसी पॉवर प्रोजेक्ट को फिलहाल सरकार ने रोक दिया है।  माना जा रहा है कि एनटीपीसी द्वारा बनाई गई सुरंग के चलते जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाएं हो रही हैं। इस मामले में एनटीपीसी ने सफाई दी है। उसने कहा है कि एनटीपीसी जोशीमठ शहर के नीचे सुरंग का निर्माण नहीं कर रहा है। सुरंग का निर्माण टनल बोरिंग मशीन से किया जा रहा है। मौजूदा समय में कोई भी ब्लास्टिंग का काम नहीं किया जा रहा है। एनटीपीसी पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहती है कि इस सुरंग की वजह से जोशीमठ की जमीन नहीं धंस रही है।

जोशीमठ में भू-धंसाव को घटनाओं के कारण एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के टनल के अंदर का काम रोक दिया गया है। प्रशासन ने बीआरओ के अन्तर्गत निर्मित हेलंग बाईपास निर्माण कार्य एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य एवं नगरपालिका क्षेत्रान्तर्गत निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन भी अगले आदेश तक रोक दिया गया है।
विशेषज्ञों ने 16 से 20 अगस्त 2022 के बीच जोशीमठ का दौरा कर पहली रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि इस इलाके में सुरक्षा कार्य करने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों को दूसरी जगह विस्थापित करना होगा। वहीं 1976 में गढ़वाल कमिश्नर मुकेश मिश्रा की अध्यक्षता में सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी जिसमें साफ कहा गया था कि जोशीमठ रेतीली मिट्टी और ग्लेशियर के साथ बहकर आई मिट्टी पर बसा हुआ है। अब इसकी नींव या जड़ को छेड़ा गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसके अलावा रिपोर्ट में खनन या ब्लास्ट पर रोक लगाने और अलकनंदा नदी के किनारे सुरक्षा वॉल बनाने का भी सुझाव दिया गया था लेकिन इस रिपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया गया था।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी शनिवार को जोशीमठ पहुंचकर जमीनी हकीकत जानी थी। उन्होंने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी के नेतृत्व में लोगों के राहत और बचाव कार्य के लिए एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए चमोली जिले के जिलाधिकारी को 11 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा उन्होंने जोशीमठ इलाके के सर्वे कराने के भी निर्देश दिए हैं। चमोली जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी ने बताया कि जोशीमठ से 11 और परिवारों को रेस्क्यू किया गया है।
अब तक 65 ऐसे परिवारों को रेस्क्यू किया जा चुका है। इन सभी को अस्थायी राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। यहां अब दरार से प्रभावित घरों की संख्या बढ़कर 603 हो गई है। गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार सिंह ने बताया कि सेना को अलर्ट मोड पर रखा गया है। प्रशासन लगातार सेना के अधिकारियों के साथ संपर्क में है। इसके अलावा एसडीआरएफ एनडीआरएफ पुलिस सुरक्षा बल को अलर्ट कर लिया गया है। वहीं इसरो से जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीरें मांगी गई हैं। उससे पिछले चार महीनों की तस्वीरों को लेकर समझा जाएगा कि आखिर हालात ऐसे क्यों बन रहे हैं?
सीएम की बैठक के बाद जोशीमठ क्षेत्र के प्रभावितों के लिए जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन ने 6 महीने तक प्रभावित परिवारों को किराया देने का ऐलान किया है। अधिकारियों के मुताबिक जिन लोगों के घर खतरे की जद में हैं या रहने योग्य नहीं है उन्हें अगले 6 महीने तक किराए के मकान में रहने के लिए 4000 प्रति परिवार सहायता दी जाएगी। यह सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रदान की जाएगी।

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