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मध्यप्रदेश

माता-पिता डॉक्टर, बहनें भी मेडिकल लाइन में… डॉक्टर बेटे ने लगा दी छलांग; आखिर क्यों उठाया ये कदम?

मध्य प्रदेश के जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहे 22 साल जूनियर डॉक्टर शिवांश गुप्ता की आत्महत्या की खबर ने पूरे मेडिकल कॉलेज और शहर को झकझोर कर रख दिया है. मूल रूप से रीवा के रहने वाले शिवांश एक संपन्न, सुशिक्षित और प्रतिष्ठित डॉक्टर परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनके माता-पिता गुड़गांव में डॉक्टर हैं और दोनों बहनें भी चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत हैं और शिवांश दोनों बहनों में इकलौता भाई था.

ऐसे परिवार से आने वाले होनहार छात्र के इस आत्मघाती कदम ने सभी को स्तब्ध कर दिया है और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर ऐसी क्या वजह रही जो उसे यह कठोर कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा? डीन डॉ. नवनीत सक्सेना के अनुसार, उन्हें सुबह करीब 12 बजकर 20 मिनिट पर सूचना मिली कि हॉस्टल नंबर 4 के रूम नंबर 101 में रहने बाले MBBS फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर छात्र शिवांश गुप्ता की हालत गंभीर है और उसे तुरंत इलाज की आवश्यकता है.

दोस्तों और परिजनों को सुसाइड से पहले भेजा मैसेज

जब तक कॉलेज प्रशासन और डॉक्टरों की टीम एक्टिव होती, तब तक काफी देर हो चुकी थी. शिवांश को गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया था, जहां उसके नाक, कान और मुंह से खून बह रहा था. तमाम विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने तुरंत इलाज शुरू किया गया, सर्जरी की तैयारी की गई, लेकिन दोपहर होते-होते शिवांश जिंदगी की जंग हार गया. डीन के बताया कि शिवांश ने आत्महत्या से पहले अपने कुछ दोस्तों और परिजनों को एक मार्मिक मैसेज भेजा, जिसमें लिखा था कि मैं परेशान हूं, डिप्रेशन में चल रहा हूं लेकिन जो कदम मैं उठा रहा हूं, आप लोग मत उठाना.

दोस्तों के सामने लगा दी छत से छलांग

यह मेसेज पढ़ते ही उसके दोस्त सकते में आ गए और हॉस्टल की ओर दौड़े. उन्होंने देखा कि शिवांश हॉस्टल की छत पर आत्महत्या करने की तैयारी में खड़ा था. दोस्तों ने आवाज लगाई, एक छात्र उसे रोकने के लिए दौड़ा भी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. शिवांश छत से कूद चुका था. जानकारी के अनुसार, शिवांश पिछले कुछ दिनों से मानसिक तनाव में था. बुधवार रात वह हॉस्टल में नहीं था, बल्कि किराए से बाहर रहने वाले अपने दोस्तों के पास रुकने चला गया था.

शिवांश नहीं गया था कॉलेज

दोस्तों के साथ रात का खाना खाकर वही सो गया फिर सुबह सभी छात्र एक साथ कॉलेज के लिए निकले, लेकिन शिवांश हॉस्टल लौट आया और बाकी छात्र कॉलेज चले गए. करीब 11:48 पर उसने अपने दोस्त मयंक और अन्य दो दोस्तों को यह भावुक मैसेज भेजा. मैसेज पढ़ते ही वे उसकी तलाश में हॉस्टल पहुंचे और आत्महत्या करने से रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह छत से कूद गया. घटना के बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन सक्रिय हुआ.

डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने बताया कि छात्र के आत्महत्या के पीछे का कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह जरूर सामने आया है कि शिवांश मानसिक तनाव से गुजर रहा था. हॉस्टल के अन्य छात्रों से पूछताछ में यह पता चला कि वह पिछले एक सप्ताह से गुमसुम रहता था. डॉ. सक्सेना ने कहा कि फिलहाल रैगिंग जैसी कोई बात सामने नहीं आई है. जिस हॉस्टल से यह घटना हुई, उसमें सिर्फ फर्स्ट ईयर के छात्र रहते हैं, जिससे रैगिंग की संभावना से इनकार किया गया है.

जांच के लिए गठित की गई उच्चस्तरीय कमेटी

बावजूद इसके, एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित की जा रही है, जो पूरे मामले की बारीकी से जांच करेगी. साथ ही शिवांश के द्वारा एक पत्र छोड़ा गया है जो अभी तक सामने नहीं आया है उसे पत्र की भी तलाश की जा रही है कि आखिर उसने आत्महत्या से पहले किन बातों का जिक्र किया गया है. वहीं गढ़ा थाना में पदस्थ जांच अधिकारी सब-इंस्पेक्टर योगेंद्र सिंह ने बताया कि फिलहाल छात्र का मोबाइल बरामद नहीं हुआ है.

इकलौता बेटा था शिवांश

मोबाइल मिलने के बाद यह संभव हो सकेगा कि उसकी मानसिक स्थिति और आत्महत्या की पृष्ठभूमि के बारे में कोई ठोस जानकारी मिल सके. शिवांश गुप्ता अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था. घटना की सूचना मिलते ही उनके माता-पिता गुड़गांव से जबलपुर के लिए रवाना हो गए हैं. बताया गया है कि देर रात तक वे जबलपुर पहुंच जाएंगे. फिलहाल शिवांश का शव मोर्चरी के डीप फ्रीजर में रखा गया है. उनके परिजनों के आने के बाद पंचनामा और पोस्टमार्टम की कार्रवाई की जाएगी.

इस घटना से पूरा मेडिकल कॉलेज शोक में डूबा हुआ है. खासकर जूनियर डॉक्टरों और उनके दोस्तों के लिए यह बेहद कठिन समय है. हर किसी के मन में यही सवाल है कि शिवांश जैसे समझदार, पढ़े-लिखे और अच्छे परिवार से आने वाले छात्र ने आखिरकार क्यों यह खौफनाक फैसला किया? यह घटना देशभर के मेडिकल छात्रों की मानसिक स्थिति और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है.

क्या यह दबाव अकादमिक प्रतिस्पर्धा का था, क्या हॉस्टल का वातावरण असहज बना हुआ था या फिर व्यक्तिगत कारण? जब तक जांच पूरी नहीं होती, इन सवालों के जवाब अधूरे ही रहेंगे. शिवांश की आत्महत्या से एक बार फिर यह साफ हो गया है कि मेडिकल जैसी कठिन पढ़ाई करने वाले छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है. कॉलेज प्रशासन को चाहिए कि छात्रों के लिए नियमित मानसिक स्वास्थ्य जांच, काउंसलिंग और बातचीत के अवसर सुनिश्चित करे.

साथ ही, छात्रों के बीच भावनात्मक सहयोग और संवाद को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम होना चाहिए. शिवांश गुप्ता की आत्महत्या केवल एक व्यक्तिगत क्षति नहीं, बल्कि एक बड़ा सामाजिक संकेत भी है. यह घटना बताती है कि सफलता और संसाधनों के बावजूद अगर मानसिक स्वास्थ्य उपेक्षित रह जाए तो इंसान किस हद तक टूट सकता है. अब जरूरत है कि समाज, शैक्षणिक संस्थान और परिवार सभी मिलकर यह सुनिश्चित करें कि ऐसी घटनाएं दोबारा ना हो और कोई और शिवांश अपनी जान ना गंवाए.

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