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हटाया जाए धर्मनिरपेक्ष शब्द…शिवराज बोले- ये हमारी संस्कृति का मूल नहीं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द को बरकरार रखने पर सवाल उठाया था. उनके इस बयान के बाद सियासी पारा हाई है. कांग्रेस हमलावर है तो वहीं बीजेपी इसके समर्थन में उतर आई है. संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने या बनाए रखने को लेकर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान सामने आया है.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सर्वधर्म समभाव ये भारतीय संस्कृति का मूल है, धर्मनिरपेक्ष हमारी संस्कृति का मूल नहीं है और इसलिए इस पर जरूर विचार होना चाहिए कि आपातकाल में जिस धर्मनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया उसको हटाया जाए.

क्या बोले शिवराज सिंह चौहान?

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि समाजवाद की आत्मवत सर्वभूतेषु अपने जैसा सबको मानो ये भारत का मूल विचार है “अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्” यह सारी दुनिया ही एक परिवार है, यह भारत का मूल भाव है. शिवराज ने इस बयान से साफ कहा कि सर्वधर्म समभाव भारतीय संस्कृति का मूल है. धर्मनिरपेक्ष हमारी संस्कृति का मूल ही नहीं है. इसलिए इस पर विचार जरूर होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि जियो और जीने दो, प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो, सर्वे भवन्तु सुखिना सर्वे संतु निरामया ये भारत का मूल भाव है और इसलिए यहां समाजवाद की जरूरत नहीं है. हम तो वर्षों पहले से कह रहे हैं, सियाराम मय सब जग जानी, सबको एक जैसा मानो इसलिए समाजवाद शब्द की भी आवश्यकता नहीं है, देश को इस पर निश्चित तौर पर विचार करना चाहिए.

कांग्रेस ने बोला आरएसएस और बीजेपी पर हमला

संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों की समीक्षा करने संबंधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) महासचिव दत्तात्रेय होसबाले के बयान के बाद कांग्रेस ने आरएसएस और भाजपा पर संविधान विरोधी होने का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने कहा कि वह बीजेपी-आरएसएस की साजिश को कभी सफल नहीं होने देगी और ऐसे किसी भी कदम का विरोध करेगी.

आरएसएस महासचिव के बयान के बाद एक नई सियासी जंग छिड़ गई है. इसके समर्थन में कई बीजेपी नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं तो वहीं कांग्रेस की तरफ से इसका विरोध किया जा रहा है.

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