ब्रेकिंग
यात्रियों को मिली राहत: छठ के लिए रेलवे ने चलाई स्पेशल ट्रेनें, होल्डिंग एरिया और CCTV से निगरानी, ल... उदयपुर में दर्दनाक हादसा! एनिकट पर नहाते समय 4 मासूम बच्चे डूबे, पूरे इलाके में मातम फारूक अब्दुल्ला का सनसनीखेज बयान: 'BJP ने हमें राज्यसभा सीट के लिए डील ऑफर की थी, जिसे हमने ठुकरा दि... खूंटी में खूनी वारदात: मां संग चाचा को आपत्तिजनक हालत में देख बौखलाया बेटा, गुस्से में कर डाला 'काम ... अबूझमाड़ में 'बदलाव' की आहट: गृह मंत्री विजय शर्मा ने लगाई जन चौपाल सूर्य की उपासना का महापर्व छठ शुरू, सरगुजा में घाटों पर लगेगा भक्तों का मेला छत्तीसगढ़ी लोककला हमारी पहचान, जल्द बनेगी फिल्म सिटी : विष्णुदेव साय "पंजाब में 'वीजा स्कैम' का भंडाफोड़! लाइसेंसी इमिग्रेशन सेंटर ने दर्जनों युवाओं को बनाया शिकार, लाखो... Bisleri पीने वालों के लिए शॉकिंग न्यूज़! पानी की क्वालिटी को लेकर आई बड़ी और चौंकाने वाली खबर दिल्ली में 'रेड' और 'ऑरेंज' अलर्ट! 5 इलाकों में दम घोंटू हवा, AQI लगातार गिर रहा, प्रदूषण के कहर से ...
देश

अर्नब को अंतरिम बेल देने के कारणों को SC ने किया स्पष्ट, कहा- पुलिस FIR में लगाए गए आरोप नहीं हुए साबित

नई दिल्ली। टेलीविजन पत्रकार अर्नब गोस्वामी को आत्महत्या के लिए उकसावे के वर्ष 2018 के एक मामले में अग्रिम जमानत देने के करीब 15 दिनों बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब को बेल दिए जाने के कारणों को स्पष्ट किया।SC ने आत्महत्या मामले में 11 नवंबर को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को आत्महत्या के मामले में दी गई अंतरिम जमानत के लिए विस्तृत आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज FIR का प्रथम दृष्टया मूल्यांकन उनके खिलाफ आरोप स्थापित नहीं करता है।

4 हफ्तों तक रहेगी अर्नब की जमानत- SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्रकार अर्नब गोस्वामी की 2018 में आत्महत्या मामले में अंतरिम जमानत तब तक जारी रहेगी जब तक बॉम्बे HC उनकी याचिका का निपटारा नहीं कर देता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्रकार अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत अगले 4 सप्ताह के लिए होगी जिस दिन से मुंबई हाईकोर्ट ने आत्महत्या के मामले में उनकी जमानत याचिका पर फैसला किया।

हाईकोर्ट, निचली अदालतों को दिए आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय, निचली अदालतों को राज्य द्वारा आपराधिक कानून का दुरुपयोग करने के खिलाफ जागरुक रहना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि SC, HC, जिला न्यायपालिका को नागरिकों के चयनात्मक उत्पीड़न के लिए आपराधिक कानून नहीं बनना चाहिए। अर्नब मामले पर बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अदालत के दरवाजे एक ऐसे नागरिकों के लिए बंद नहीं किए जा सकते हैं, जिसके खिलाफ प्रथम दृष्टया राज्य द्वारा अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने के संकेत हों।

सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक दिन के लिए भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित करना बहुत अधिक है। जमानत अर्जी से निपटने में देरी की संस्थागत समस्याओं को दूर करने के लिए अदालतों की जरूरत है। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अर्नब के खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर और आत्महत्या के लिए अपमान के अपराध की सामग्री के बीच कोई संबंध नहीं दिख रहा है। ऐसे में अर्नब के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो रहे हैं।

बता दें कि विगत 11 नवंबर को सर्वोच्च अदालत गोस्वामी को अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि अगर उनकी निजी स्वतंत्रता को बाधित किया गया तो यह अन्याय होगा। जस्टिस चंद्रचूड़ ने 11 नवंबर को अर्नब गोस्वामी को जमानत मंजूर करते हुए इस बात पर चिंता जताई थी कि राज्य सरकार कुछ लोगों को सिर्फ इस आधार पर कैसे निशाना बना सकती है कि वह उसके आदर्शो या राय से सहमत नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि वह इस मामले में वकीलों की राय बाद में लेंगे कि नागरिकों की आजादी की सुरक्षा किस तरह से हो। यह फैसला सुनाते हुए तब सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में दो अन्य नीतीश सारदा और फिरोज मुहम्मद शेख को भी पचास-पचास हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी। जमानत देते हुए जस्टिस ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक सर्वोच्च अदालत है।

खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि हम यह मानते हैं कि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज करके गलत किया। इसलिए हम आदेश देते हैं कि अर्नब मनोरंजन गोस्वामी, फिरोज मुहम्मद शेख और नीतीश सारदा को अंतरिम जमानत पर तत्काल छोड़ दिया जाए। कोर्ट ने आरोपितों को भी निर्देशित किया कि वह केस की जांच में सहयोग करें।

Related Articles

Back to top button