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अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ नफ़रत से भरी है ‘सरदार उधम’! एकेडमी अवॉर्ड्स की ऑफिशियल एंट्री के लिए इसलिए हुई रिजेक्ट

नई दिल्ली। अमेज़न प्राइम वीडियो पर 16 अक्टूबर को स्ट्रीम हुई शूजित सरकार निर्देशित सरदार उधम ने भले ही दर्शकों और समीक्षकों के दिल जीते हों, मगर एकेडमी अवॉर्ड्स के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि चुनने वाली ज्यूरी के सदस्यों की सोच से हार गयी।

जलियांवाला बाग नरसंहार की पृष्ठभूमि पर बनी शहीद उधम सिंह की इस बायोपिक को ठुकराने की समिति के सदस्यों ने जो वजह बतायी है, उसे जानकर झटका लगेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एकेडमी अवॉर्ड्स में एंट्री के लिए फ़िल्मों का चुनाव करने वाली समिति को लगता है कि सरदार उधम में ब्रिटिश के ख़िलाफ़ कुछ ज़्यादा ही नफ़रत दिखा दी गयी है, इसलिए इसे ऑस्कर अवॉर्ड्स की रेस में नहीं भेजा जाना चाहिए। समिति के इस अजीबोग़रीब तर्क का सोशल मीडिया में भी जमकर विरोध किया जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्कर अवॉर्ड्स के लिए ऑफिशियल एंट्री चुनने वाली समिति के एक सदस्य इंद्रदीप दासगुप्ता ने सरदार उधम को रिजेक्ट करने की वजह गिनाते हुए कहा- सरदार उधम कुछ ज़्यादा लम्बी फ़िल्म और जलियांवाला बाग की घटना पर निर्भर है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक गुमनाम नायक पर एक भव्य फ़िल्म बनाने का यह एक ईमानदार प्रयास है, लेकिन इस प्रक्रिया में यह ब्रिटिश के ख़िलाफ़ हमारी नफ़रत को उजागर करती है। वैश्वीकरण के इस दौर में, इतनी नफ़रत पाले रखना अच्छी बात नहीं है। हालांकि, इंद्रदीप ने फ़िल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बताने में संकोच नहीं किया।

इसी रिपोर्ट में एक अन्य ज्यूरी सदस्य सुमित बसु के हवाले से बताया गया कि सरदार उधम को इसकी बेहतरीन सिनेमैटोग्राफी और कैमरा वर्क, एडिटिंग, साउंड डिज़ाइन और उस कालखंड के पुनर्निर्माण के लिए तमाम लोगों ने पसंद किया है। मगर, फ़िल्म की लम्बाई एक मुद्दा बनी। इसका क्लाइमैक्स भी खींचा गया है। दर्शक को जलियांवाला बाग नरसंहार के शहीदों का दर्द महसूस करने में काफ़ी वक़्त लग जाता है।

जलियांवाला बाग नरसंहार के बदले की कहानी

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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क्रांतिकारी शूजित सरकार की फ़िल्म उधम मुख्य रूप से 1919 में हुए जलियांवाला बाग नरसंहार की कहानी को दिखाती है। सरदार उधम ने 1940 में लंदन के कैक्सटन हॉल में लाहौर के पूर्व गवर्नल माइकल ओ डायर की हत्या करके इस नरसंहार का बदला लिया था। फ़िल्म में सरदार उधम का किरदार विक्की कौशल ने निभाया है और इसे उनके अब तक के करियर के सर्वश्रेष्ठ अभिनय में से एक माना जा रहा है।

सोशल मीडिया में समिति के फ़ैसले का विरोध

सरदार उधम को ऑस्कर के लिए ना भेजने की वजह सामने आते ही सोशल मीडिया में इसको लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की जा रही है। कई यूज़र्स ने ट्वीट करके अपना विरोध दर्ज़ करवाया है। फ़िल्म के प्रशंसकों ने कमेंट के ज़रिए समिति के इस फ़ैसले पर सवाल उठाने के साथ तंज कसे हैं।

तमिल फ़िल्म Koozhangal बनीं ऑफिशियल एंट्री

बता दें, एकेडमी अवॉर्ड्स की विदेश फ़िल्म कैटेगरी में भेजने के लिए 15 सदस्यीय ज्यूरी फ़िल्मों का चुनाव करती है। 2022 में होने वाले 94वें एकेडमी अवॉर्ड्स के लिए 14 फ़िल्मों को शॉर्ट लिस्ट किया गया था, जिनमें मलयालम नयाट्टू, तमिल फ़िल्म मंडेला, हिंदी फ़िल्म सरदार उधम, शेरनी, तूफ़ान और शेरशाह और मराठी फ़िल्म गोदावरी रेस में थीं। हालांकि, ज्यूरी ने तमिल फ़िल्म कूझांगल Koozhangal (Pebbles) को चुना।

(फ़िल्म की कास्ट के साथ नयनतारा। फोटो- ट्विटर)

विनोथराज पीएस निर्देशित फ़िल्म एक शराबी पति के बारे में है, जिसके उत्पीड़न से तंग आकर उसकी पत्नी भाग जाती है। फिर बेटे के साथ वो उसे वापस लाने के मिशन पर निकलता है। फ़िल्म में न्यूकमर चेल्लापंडी और करूथथादइयां ने मुख्य भूमिकाएं निभायी हैं। नयनतारा ने फ़िल्म को को-प्रोड्यूस किया है। इस बार 15 सदस्यीय ज्यूरी की अध्यक्षता फ़िल्ममेकर शाजी एन करुण ने की।

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