ब्रेकिंग
धनतेरस पर रिकॉर्ड तोड़ खरीदारी: देशभर में हुआ 1 लाख करोड़ का कारोबार, 60 हजार करोड़ का सोना-चांदी खर... फांसी vs इंजेक्शन: मौत की सज़ा का कौन सा तरीका बेहतर? पवन जल्लाद ने बताया- 'निर्भया के दोषियों को लट... करोड़ों का घोटाला! भू-माफिया ने फर्जी दस्तावेज से हड़पी कडाणा विभाग की जमीन, सरकारी संपत्ति को बताया... शिंदे गुट का सीधा वार: श्रीकांत बोले- 'UBT और MNS सिर्फ बयानबाजी करते हैं, मराठियों के नाम पर सिर्फ ... कोलकाता में ED का बड़ा एक्शन: पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से जुड़े नेटवर्क का खुलासा, मुख्य आरोपी इंदुभ... दिवाली पर खपाने की तैयारी! फरीदाबाद में 222 पेटी अवैध शराब जब्त, गोदाम में टाइल्स के नीचे छिपा रखा थ... धनतेरस पर CM मोहन यादव का तोहफा: किसानों को 'सोलर पंप' की खरीद पर मिली बंपर सब्सिडी, खेती होगी आसान बांके बिहारी का 'खजाना' खुलेगा! धनतेरस पर 54 साल बाद तहखाने का द्वार खुला, गोस्वामी समाज के हंगामे स... बिहार चुनाव का रण! पहले चरण में रिकॉर्डतोड़ ढाई हजार नामांकन, आखिरी 48 घंटों में उम्मीदवारों की लगी ... संसद के करीब बड़ा हादसा! सांसद फ्लैट में लगी भीषण आग, धुआं देख मची अफरा-तफरी, 6 दमकल गाड़ियां मौके प...
छत्तीसगढ़

वारुणी योग : अगर आपका विवाह भी नहीं हो रहा है तय, तो करें इन मंत्रों का जाप…

रायपुर. मंगलवार को अत्यंत दुर्लभ और शुभ, पुण्यकारक योग वारुणी योग बन रहा है. इसे वारुणी पर्व भी कहा जाता है. कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय क्षीरसागर से निकली मदिरा को वारुणी कहा गया. यह देवी के रूप में समुद्र से निकली मदिरा की देवी के रूप में प्रतिष्ठित हुई. इसे देवता वरुण की पत्नी के रूप में माना जाता है और अन्य नाम वरुणानी भी उद्धृत किया जाता है. चरकसंहिता में इसे मदिरा के एक प्रकार के रूप में बताया गया है और यक्ष्मा रोग के उपचारार्थ इसे औषधि के रूप में बताया गया है. वैदिक ज्योतिष में इस योग को अत्यंत दुर्लभ माना गया है. वारुणी योग चैत्र माह में बनने वाला एक अत्यंत पुण्यप्रद महायोग है. इसका वर्णन विभिन्न पुराणों में भी मिलता है. यह महायोग तीन प्रकार का होता है, चैत्र कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को वारुण नक्षत्र यानी शतभिषा हो तो वारुणी योग बनता है. चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र और शुभ नामक योग हो तो महावारुणी योग बनता है. जोकि इस बार बन रहा है जब मंगलवार के शुभ दिवस में शतभिषा नक्षत्र और शुभ योग है। साथ भौम प्रदोष यानि की त्रयोदशी तिथि भी है.

वारुणी योग के दिन भगवान शिव की पूजा, अभिषेक से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन मंत्र जप, अनुष्ठान, यज्ञ, हवन आदि करने का बड़ा महत्व है. पुराणों का कथन है कि इस दिन किए गए एक यज्ञ का फल हजारों यज्ञों के समान मिलता है. यदि पवित्र नदियों में स्नान करने का संयोग ना बन पाए तो अपने घर में ही पवित्र नदियों का जल डालकर स्नान करें.

वारुणी योग में शिक्षा से संबंधित कार्य प्रारंभ किए जाते हैं. पढ़ाई शुरू करना, कोई ट्रेनिंग, कोर्स शुरू करने से सफलता मिलना निश्चित होता है. नया काम धंधा व्यापार शुरू करने के लिए वारुणी योग अत्यंत शुभ माना गया है. इस योग में कार्य प्रारंभ करने से कभी पराजय, असफलता का सामना नहीं करना पड़ता है. वारुणी योग में नई फैक्ट्री शुरू कर सकते हैं. किसी नए प्रोजेक्ट का कार्य शुरू कर सकते हैं. वारुणी योग में नया मकान, दुकान, प्लॉट खरीदना शुभ रहता है. इससे उनमें उत्तरोत्तर वृद्धि होने लगती है.

वारुणी योग में यदि विवाह की बात की जाए तो रिश्ता पक्का होने में कोई संदेह नहीं रहता है. इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं, बेलपत्र की माला अर्पित करें. शिवलिंग पर एक जोड़ा केला चढ़ाएं और वहीं बैठकर शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें. इससे शीघ्र विवाह का मार्ग खुलता है. किसी विशेष मंत्र की सिद्धि करना हो तो इस दिन जरूर करें, मंत्र जल्दी सिद्ध होता है.

Related Articles

Back to top button