संजीवनी क्रेडिट सोसाइटी के कथित घोटाले के मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को फिलहाल राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस प्रवीर भटनागर के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुए मामले में जस्टिस भटनागर ने याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने निर्देश दिया कि इसे सुनवाई के लिए किसी अन्य पीठ को सौंपा जाए।
पहले जस्टिस मनोज कुमार गर्ग ने भी याचिका की सुनवाई से खुद को अलग किया था
याचिका में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कथित संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाला मामले की जांच अनियमित जमा पर प्रतिबंध योजना अधिनियम 2019 के अधीन कराने और अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की गुहार की है। इससे पहले जस्टिस मनोज कुमार गर्ग ने भी इस याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। जस्टिस भटनागर की पीठ के समक्ष मंगलवार को वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंद्र सिंह, धीरेंद्र सिंह, सुल्तान सिंह और विवेक बाजवा ने सुनवाई का आग्रह किया। तो पीठ ने याचिकाकर्ता शेखावत सहित इस मामले से जुड़ी अन्य याचिकाओं को दूसरी पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगाने को कहा। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी, सीबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य और राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा उपस्थित रहे।
सेंट्रल एक्ट के प्रोविजन के अनुसार जांच CBI को सौंपने की गुहार
संजीवनी क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी मामले में अन्य याचिकाकर्ताओं को कोर्ट अग्रिम आदेश तक गिरफ्तारी से राहत दे चुका है। शेखावत की याचिका में कहा गया है कि जमाकर्ता कई राज्यों से जुड़े होने के कारण इस मामले में केंद्रीय अधिनियम के प्रावधान के अनुसार जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए। शेखावत ने राजस्थान पुलिस की एसओजी द्वारा दायर प्राथमिकी को रद्द करने और जांच सीबीआई को सौंपने के लिए 24 मार्च को हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की थी। 28 मार्च को जस्टिस मनोज कुमार गर्ग ने खुदको सुनवाई से अलग किया था। अब 4 अप्रैल को जस्टिस भटनागर का बिना कारण बताए खुदको केस की सुनवाई से अलग करना ज्यूडिशियरी के भीतर और आम जनता के बीच की सवाल खड़े करता है। इससे चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं कि इसके क्या कारण रहे होंगे ?
केस में आगे क्या होगा ?
राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अब गजेंद्र सिंह शेखावत और अन्य याचिकाकर्ताओं की सुनवाई को किसी अन्य पीठ में सुनवाई के लिए भेज सकते हैं।
गजेंद्र सिंह शेखावत के वकील बोले- राज्य का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के वकील धीरेंद्र सिंह दासपन ने कहा कि उन्होंने इस आधार पर प्राथमिकी को रद्द करने और जांच को सीबीआई को स्थानांतरित करने की मांग की है कि इस मामले में राज्य का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।