मोदी लहर से डरी ममता दीदी, अपने ही भतीजे के पर कतरे!

कोलकाताः लोकसभा चुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन घोर निराशाजनक रहा है जहां उसके सांसदों की संख्या साल 2104 के 34 के मुकाबले इस बार घटकर 22 रह गई है। वहीं ममता के सामने अपने हारे प्रत्याक्षियों को साथ में जोड़े रखने की चुनौती खड़ी हो गई है, ऐसे में दीदी ने कई बड़े फैसले लिए जिससे सदस्य टूटे न और पार्टी छोड़कर न चले जाएं। मोदी लहर से डरी ममता ने हारे हुए प्रत्याशियों को नई जिम्मेदारियां दी हैं जिससे पार्टी के कई नेता हैरान हैं। साथ ही ममता ने संगठन में अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी की भूमिका को भी सीमित कर दिया है और उनको कई जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया। ममता ने हारे 20 पार्टी उम्मीदवारों को कहा कि उनमें से कई ने काफी अच्छी टक्कर दी लेकिन कुछ-कुछ जगहों पर चूक हुई है जिस पर मंथन की जरूरत है।
भतीजे की जिम्मेदारियां घटाईं
द टेलिग्राफ की खबर के मुताबिक ममता ने चुनाव के बाद बिना किसी गंभीर चिंतन के जल्दबाजी में कई बदलाव किए हैं। हारे हुए उम्मीदवार पाला न बदल ले इसलिए उनको कई जिम्मेदारियां दी गई हैं ताकि वह नए सिरे से पार्टी में काम में जुट जाएं। सूत्रों के मुताबिक ममता ने डायमंड हार्बर इलाके से जीतने वाले अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को बांकुरा और पुरुलिया के ऑब्जर्वर की भूमिका से मुक्त कर दिया है। ममता ने कहा कि अभिषेक अब सभी के साथ कॉर्डिनेशन का काम देखेंगे। साथ ही वह मतदाता सूची के रिविजन का काम देखेंगे। बता दें कि बांकुरा और पुरुलिया इन दो जिलों में भाजपा ने सभी 3 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया है। ममता ने हारे हुए प्रत्याक्षियों को उनके ही जिले का प्रभारी नियुक्त कर दिया हैं। झाड़ग्राम से हारे बीरबाह सोरेन को तृणमूल ने झाड़ग्राम का जिला अध्यक्ष बना दिया है। वहीं हुगली लोकसभा सीट से हारने वाले रत्न दे नाग को ममता ने वहीं के जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा, कन्हैया लाल अग्रवाल और अर्पिता घोष को साउथ और नॉर्थ दिनाजपुर का प्रमुख बनाया गया है। कन्हैया लाल अग्रवाल और अर्पिता घोष को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे ही ममता ने अन्य हारे हुए उम्मीदवारों को उनके ही जिले के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी है।
पार्टी के इस खराब प्रदर्शन पर तृणमूल कांग्रेस खेमा बंट गया है। पार्टी के कई नेताओं ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के इस प्रदर्शन के पीछे शीर्ष पार्टी पदों पर काबिज लोगों की ‘‘दूरदर्शिता की कमी” और उनके ‘‘अहंकार भरा रवैया” है। बता दें कि इससे पहले ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की शनिवार को पेशकश की लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया। ममता ने कहा कि मुझे कुर्सी की जरूरत नहीं है अपितु कुर्सी को मेरी जरूरत है। ममता ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहती थी। कुर्सी मेरे लिए कुछ नहीं। यद्यपि पार्टी ने उसे खारिज कर दिया।