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खिसकती जमीन को रोकेंगे कैसे

पिछले दो साल में भाजपा के हाथ से चार बड़े राज्य फिसल जाने से भारतीय नक्शे पर पार्टी सिमटती हुई दिख रही है। दिसंबर 2017 तक जिस पार्टी का देश की 71 फीसदी आबादी वाले क्षेत्र पर कब्जा था, वह नवम्बर 2019 में सिमट कर 40 फीसदी आबादी क्षेत्र पर रह गया है। हालांकि अभी देश के 17 राज्यों में राजग की सरकारें हैं, इनमें 13 में भाजपा की और चार में उसके सहयोगी दलों की।

लगा बड़ा पंच 
पिछले साल जून से अब तक भाजपा ने 5 बड़े राज्य गंवाए हैं। इनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में उसे बहुमत नहीं मिला। महाराष्ट्र में अपनी सहयोगी पार्टी शिवसेना को नाराज कर लेने से उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा। गत जून में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन से पहले ही भाजपा और पीडीपी की सरकार थी। जम्मू-कश्मीर को अब तीन हिस्सों में बांट दिया गया है।

दिल्ली कितनी दूर
दिल्ली लंबे समय से भाजपा के लिए दूर की कौड़ी बनी हुई है। यहां आम आदमी पार्टी की सरकार है। अगले साल चुनाव हैं। ऐसे में भाजपा यहां कई मुद्दे खड़े करने की कोशिश कर रही है। इनमें दिल्ली के हवा-पानी यानी पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा प्रमुख है। भाजपा को लग रहा है कि वह इसे भुना सकती है मगर दूसरी ओर मुख्यमंत्री केजरीवाल कई तरह की राहतें बांट रहे हैं और नई घोषणाएं जारी रखे हुए हैं।

कर्नाटक की छह सीटों का जुगाड़ जरूरी
कर्नाटक में इसी साल जुलाई में भाजपा ने जोड़तोड़ कर सरकार बनाई थी। इस खेल में कांग्रेस के 14 और जनता दल के 3 विधायकों ने सदस्यता गंवा कर येदुरप्पा के लिए मुख्यमंत्री पद का रास्ता बनाया। अब इन 17 में 15 सीटों के लिए उपचुनाव में 5 दिसंबर को मतदान होना है। इस तरह 224 सदस्यों के सदन में 222 सीटों पर बहुमत का आंकड़ा 112 रहेगा। भाजपा के पास अपने 104 विधायक हैं, दो अन्य का उसे सहयोग है। ऐसे में यह जरूरी है कि उपचुनाव में कम से कम 6 भाजपा प्रत्याशी जीतें। यहां मुकाबला काफी कड़ा है। कांग्रेस और जनतादल सभी 15 सीटों पर लड़ ही रहे हैं, इसके अलावा भाजपा के बागी भी ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में अगर आंकड़ा गड़बड़ाता है तो येदुरप्पा सरकार फिर कुमारस्वामी की ओर देखने के लिए मजबूर होगी। हालांकि वह सरकार न गिरने देने की बात कर रहे हैं।

झारखंड में क्या होगा
झारखंड में भाजपा की कड़ी परीक्षा है। यहां कई मुद्दों पर प्रदेश सरकार के प्रति नाराजगी को दूर करना चुनौती है। चुनाव प्रचार चरम पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रचार के दौरान विकास के मुद्दे पर जोर दे रहे हैं। विपक्षी दलों पर भ्रष्टाचार को लेकर निशाना साध रहे हैं।

जोड़तोड़ और जनमत
इस साल मिजोरम और सिक्किम में चुनाव के बाद सहयोगियों के साथ भगवा सरकार बनी। कर्नाटक में जोड़तोड़ काम आया और येदुरप्पा मुख्यमंत्री बने।

6 राज्यों में कांग्रेस और सहयोगी
पंजाब और पुड्डुचेरी के अलावा कांग्रेस ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बनाई है और महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ अस्वभाविक गठबंधन कर सरकार बनाने जा रही है।

21 राज्य हो गए थे राजग के पास
2014 में देश के सिर्फ 7 राज्यों में भाजपा और सहयोगी दलों की सरकारेंं थीं। 2015 में यह संघ्या 13 हुई, 2016 में 15,  2017 में 19 और 2018 के शुरू में यह बढ़कर 21 हो गई थी। मगर दिसंबर 2018 में एक साथ तीन राज्य उसके हाथ से फिसले। हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में से महाराष्ट्र हाथ से निकल ही गया और हरियाणा में भी उसे पूर्ण बहुमत नहीं मिला तथा नए दल से समझौता कर सरकार बनानी पड़ी।

ये राज्य बचे हैं भाजपा और सहयोगियों के पास 
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, असम, सिक्किम, मेघालय, मणिपुर, गोवा, त्रिपुरा, नगालैंड, झारखंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।

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