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महाराष्ट्र

9 लाख महिलाओं के नाम कटे, कतार में 41 लाख और… लाडकी बहिन योजना में सरकार का एक्शन और विपक्ष हमलावर

महाराष्ट्र सरकार की लाडकी बहिन योजना अब विवादों के घेरे में है. विधानसभा चुनावों से पहले शुरू की गई इस योजना से अब तक 3 से 4 किश्तें मिल चुकी हैं लेकिन अब तकरीबन 9 लाख महिलाओं को तकनीकी या पात्रता संबंधी कारणों से योजना से बाहर किया गया है. जबकि 41 लाख से ज्यादा महिलाएं कतार में हैं. इस बीच विपक्ष ने सरकार पर घोटाले और जल्दबाजी के आरोप लगाए हैं.

महाराष्ट्र की लाडकी बहन योजना में अभी तक लगभग 2.37 करोड़ महिलाओं को लाभ मिल रहा है, जो दिसंबर 2024 में 2.46 करोड़ थी लेकिन जांच और पात्रता के आधार पर लगभग 9 लाख महिलाओं के नाम काटे गए हैं. सरकार ने योजना के तहत 21 से 60 वर्ष की आयु वाली आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को प्रति माह ₹1500 देने का प्रावधान किया है. मगर, कुछ महिलाओं को जो अन्य योजनाओं का लाभ ले रही हैं, उन्हें अब ₹500 ही दिए जा रहे हैं.

इन 2 लाख महिलाओं को योजना से बाहर किया गया

कटौती के कारणों में आयु सीमा, अन्य सरकारी योजनाओं के लाभार्थी, और पारिवारिक आय सीमा (₹2.5 लाख प्रति वर्ष) शामिल हैं. इसके अलावा संजय गांधी निराधार योजना के तहत लाभ पाने वाली लगभग 2 लाख महिलाओं को भी इस योजना से बाहर किया गया है. सरकार ने कुल ₹46,000 करोड़ का बजट इस योजना के लिए आवंटित किया है लेकिन फंड की कमी के कारण कुछ कटौतियां की गई हैं. इससे करीब 8 लाख महिलाओं को भी कम राशि दी जा रही है.

यह योजना अक्टूबर-2024 राज्य विधानसभा चुनाव के ठीक पहले से लागू हुई थी और अब तक लगभग 2.45 करोड़ महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया. इनमें से लगभग 1.05 करोड़ महिलाओं को कम से कम एक किश्त मिल चुकी है. लेकिन अब करीब 9 लाख महिलाओं के नाम योजना से हटाए गए है जबकि 41 लाख महिलाओं के नाम स्क्रूटनी लिस्ट में हैं.

योजना में मिले पैसे वापस कर दें

सरकारी सेवा में कार्यरत करीब 2600 महिलाएं भी इसमें शामिल हैं. अभी इसमें नंबर बढ़कर 50 हजार तक जा सकते हैं. सरकार का कहना है कि सरकारी विभागों में जो महिलाएं कार्यरत है वो तुरंत लाडकी बहिन योजना में मिली किस्तों को रिटर्न्स कर दें वरना उनके खिलाफ कार्रवाई होगी क्योंकि इस योजना में नियम ही है कि सरकारी कर्मचारी को इस योजना में लाभ नहीं मिल सकता.

केबिनेट मंत्री गिरीश महाजन ने भी कहा कि जिन लाडकी बहिनों ने सरकारी नौकरी करते इस योजना का लाभ लिया है वह गलत है. एक साथ 2 योजनाओं का लाभ नहीं लेना चाहिए. उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, योजना लागू करने में जल्दबाजी हुई, नियमों का सही अवलोकन नहीं किया गया, अब पात्रता की समीक्षा हो रही है. इस पूरे घटनाक्रम पर अब सियासत तेज है. विपक्ष ने सीधे तौर पर अजित पवार और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

चुनावी स्टंट था, फर्जी नामों से घोटाला किया गया

संजय राउत ने कहा कि यह एक चुनावी स्टंट था. फर्जी नामों से पंजीकरण कर घोटाला किया गया. अजित पवार को इस्तीफा देना चाहिए. कांग्रेस की ओर से भी तीखा हमला हुआ है. वर्षा गायकवाड़ ने कहा, जिन महिलाओं के लिए योजना बनी थी, उन्हें ही पैसे नहीं मिल रहे. ये सरकार का दोहरा चरित्र है. विधायक असलम शेख ने कहा, योजना सिर्फ चुनाव जीतने के लिए लाई गई थी. चुनाव जीतने के बाद महिलाओं को दरकिनार किया जा रहा है.

इस पूरे विवाद के बीच महिला एवं बाल कल्याण मंत्री अदिति तटकरे ने योजना का बचाव किया है. उन्होंने कहा, यह योजना महिलाओं के हित में है, बदनाम करने की साजिश हो रही है. पात्र महिलाओं को मई और जून की किश्त जल्द मिलेगी. वहीं एनसीपी शरद पवार की पार्टी के नेता अनिल देशमुख ने भी कहा कि जो काम सरकार आज कर रही है वही काम पहले करना चाहिए था. ये वसूली की नौबत ना आती. जितेंद्र अहवाड़ का भी कहना है कि लाडकी बहिनों की भावनाओं के साथ सरकार खिलवाड़ कर रही है.

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