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धार्मिक

पिठोरी अमावस्या आज, इस कथा के बिना अधूरा है व्रत

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है. भाद्रपद माह की अमावस्या को पिठोरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. पिठोरी अमावस्या का व्रत 22 अगस्त, गुरुवार को यानि आज रखा जा रहा है. इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ व्रत की कथा करने का भी विशेष महत्व है.

पिठोरी अमावस्या के दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती. साथ ही जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. पिठोरी अमावस्या के दिन आटे से 64 देवियों के पिंड बनाकर उनकी विधि-विधान पूजा की जाती है.

पिठोरी अमावस्या की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक गांव में सात भाई रहते थे, जिनकी पत्नियां पिठोरी अमावस्या का व्रत रखती थीं. पहले साल बड़े भाई की पत्नी ने व्रत रखा तो उसके पुत्र की मृत्यु हो गई. दूसरे साल भी ऐसा ही हुआ. सातवें साल भी जब ऐसा ही हुआ, तो बड़े भाई की पत्नी ने अपने मृत पुत्र के शव को कहीं छिपा दिया.

उस समय गांव की कुलदेवी मां पोलेरम्मा गांव की रक्षा कर रही थीं. उन्होंने दुखी मां को देखा और कारण पूछा. मां ने सारी बात बताई. देवी को उस पर दया आ गई और उन्होंने उस मां से उन स्थानों पर हल्दी छिड़कने को कहा जहां उसके बेटों का अंतिम संस्कार हुआ था.

मां ने ऐसा ही किया. जब वह घर लौटी तो उसने देखा कि उसके सातों पुत्र जीवित हैं. यह देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा. तभी से उस गांव की हर माता अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए पिठोरी अमावस्या का व्रत रखने लगी.

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