करवा चौथ की पौराणिक कथा: क्यों सुनी जाती है शिव-पार्वती की कहानी? सुहागिनों को क्या वरदान मिलता है?

करवा चौथ कार्तिक माह के चौथे दिन पड़ता है यानी कार्तिक के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. परंपरागत रूप से विवाहित महिलाएं सूर्योदय से ही कठोर उपवास रखकर इस दिन व्रत रखती हैं और चंद्रमा के उदय होने पर व्रत तोड़ती हैं. यह एक दिवसीय व्रत मुख्य रूप से हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है. सुहागिन महिलाएं आज यानी 10 अक्टूबर को निर्जला व्रत रखे हुए हैं और अपनी पति की लंबी उम्र के लिए कामना कर रही हैं.
सुहागिन महिलाएं दिन के अंत होने के बाद चंद्रमा के उदय होते ही उसकी पूजा करेंगी और अर्घ्य देंगी.अर्घ्य देने के बाद उनके पति उन्हें जल पिलाकर व्रत का पारण करवाएंगे. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ गणेशजी की पूजा की जाती है. इस दिन को लेकर भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी एक कथा है, जिसे हर किसी सुहागिन को पढ़ना चाहिए, जिससे उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.