इस खास मशरूम ने शाकाहारी और मांसाहारियों का बना रखा है दीवाना, जानिए देश की सबसे महंगी सब्जी की कीमत और खासियत

शार्दुल, कोंडागांव। छत्तीसगढ़ के कोंडगांव में साल के जंगलों में जमीन से गांठ के रूप में निकलने वाले मशरूम की कीमत करीब 3000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। क्षेत्रीय भाषा में इसे बोड़ा कहते हैं। झारखंड में इसे रुगड़ा कहते हैं। स्वाद और पौष्टिकता के कारण इसकी हाथों हाथ बिक्री होती है। इसके चाहने वालों को प्रतिवर्ष मानसून के शुरुआती दिनों का इंतजार रहता है। हालांकि, इसकी आवक बढ़ने से कीमत गिरकर 400 से 500 रुपये किलो तक रह जाती है।
इस सीजन की सबसे स्वादिष्ट और पौष्टिक सब्जियों में है शुमार
बोड़ा की ऊपज के समय जमीन में दरारें पड़ जाती हैं। ग्रामीण मिट्टी हटाकर इसको एकत्र करते हैं। कोंडागांव जिले के मशरूम की धमक राज्य की राजधानी रायपुर से लेकर ओडिशा, तेलंगाना समेत अन्य प्रांतों तक में है। झारखंड में इससे होड़ोपैथी (आदिवासी चिकित्सा पद्धति ) से दवा तैयार की जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में 70 प्रतिशत आदिवासी आबादी इसी चिकित्सा पद्धति से जुड़ी हुई है। बस्तर के आदिवासी इसका उपयोग औषधि के रूप में करते हैं।
यहां कहा जाता है कि कुपोषित बच्चे को बोड़ा उबालकर पिलाने से वह स्वस्थ्य हो जाते हैं। इसकी मांग ज्यादा है और सप्लाई कम है। वैसे तो पूरे बस्तर के जंगलों में यह निकलती है, लेकिन कोंडागांव के जंगलों में निकलने वाले का आकार में बड़ा होता है। यह अधिक स्वादिष्ट होता है। इसके स्वाद ने मांसाहारी व शाकाहारी सभी को अपना दीवाना बना रखा है। इसमें प्रचूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन पाया जाता है। देश की सबसे महंगी सब्जियों में शुमार इससे हार्ट और ब्लड प्रेशर के लिए दवा बनाई जाती है। इसमें कैलोरी कम होती है। इस कारण अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने वाले लोग इसे आराम से खा सकते हैं।
कोंडगांव के जंगल में साल पेड़ के नीचे बारिश के शुरुआती दिनों में होता है पैदा
रिटायर्ड रेंजर आरएस वेदव्यास का कहना है कि साल के वनों में गिरे पत्तों को साफ कर देने से इसकी फसल अधिक होती है। इसमें प्रोटीन की अधिकता होती है। इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन व फाइबर पाया जाता है। कैलोरी कम पाई जाती है, इसलिए स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहने वाले भी इसे जमकर खाते हैं। इसमें औषधीय गुण भी होते हैं।