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Bihar Election 2020: 51 साल में पहला मौका, जब रामविलास पासवान के बिना बिहार में हो रहा चुनाव

पटना।  बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की चर्चा पिछले 51 वर्षों से रही है। बिहार में चुनाव (Bihar Election) हो और रामविलास पासवान की चर्चा ना हो ऐसी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन 2020 में पहली बार ऐसा हुआ है कि चुनाव उनके बगैर होने जा रहा है। अब तो यह नियति है कि 2020 के चुनाव क्या, इसके बाद आने वाले हर चुनाव बगैर रामविलास के ही होंगे। गुरुवार की शाम दिल्‍ली के एक अस्‍पताल में उनका निधन (Ram Vilas Paswan Death) हो गया।

गूंजता था- ‘धरती गूंजे आसमान-रामविलास पासवान’

एक दौर था जब बिहार के हाजीपुर की धरती पर रामविलास पासवान के पैर पड़ते तो चारो ओर ‘धरती गूंजे आसमान-रामविलास पासवान’ का नारा गूंजता था। पर समय एक सा रहता नहीं। पासवान की भी उम्र बढ़ रही थी और पार्टी की जिम्मेदारी उनके लिए मुश्किलें पैदा कर रही थीं।

मुश्किलों में विकल्प निकाल लेना रही उनकी विशेषता

पासवान की खासियत रही कि वे किसी भी परिस्थिति से कभी घबराए नहीं। मुश्किलों में विकल्प निकाल लेना उनकी विशेषता थी। उन्होंने एक दिन इस समस्या का समाधान भी निकाल लिया। बीते वर्ष पांच नवंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर अपने पुत्र और पार्टी के युवा नेता चिराग पासवान (Chirag Paswan) के कंधे पर वर्ष 2000 में बनाई गई लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की कमान सौंप दी। यह वही पार्टी थी, जिसके स्थापना काल से रामविलास पासवान अध्यक्ष थे। तब रामविलास ने कहा था कि बढ़ती उम्र की वजह से मंत्रालय और पार्टी के काम साथ में चलाने में उन्हें कठिनाई हो रही है।

चुनाव में एनडीए से बाहर एलजेपी, खली पासवान की कमी

फिर आया 2020 का वर्ष। कोरोना काल के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई। एलजेपी के सर्वेसर्वा बन चुके चिराग अपने पिता से मिली राजनीतिक समझ के साथ पार्टी के नेतृत्वकर्ता की हैसियत से चुनाव मैदान में उतरे हैं। राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ रहने ना रहने को लेकर तमाम विवादों के बीच बिहार की राजनीति में यह चर्चा इन दिनों बेहद आम थी कि ‘अगर खुद पासवान होते तो ऐसा ना होता।’ शायद पासवान इन समस्याओं को देख बिहार आ भी जाते पर स्वास्थ्य उनका साथ नहीं दे रहा था।

अब नहीं रहे रामविलास, गुरुवार शाम दिल्‍ली में निधन

इंतेहा तब हो गई जब पासवान को तबीयत बिगड़ने की वजह से दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। पिता की बीमारी और पार्टी की जिम्मेदारियों से युवा चिराग अकेले ही लड़ रहे थे। इसी बीच गुरुवार को चिराग पासवान के ट्वीट ने जानकारी दी कि रामविलास पासवान हमारे बीच नहीं रहे। इस ट्वीट ने बिहार की राजनीति में मानो एक विराम लगा दिया।

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