ब्रेकिंग
जीवन में भूल से भी न करें ये 4 काम, बढ़ता है कर्ज का बोझ! मुकेश अंबानी की ‘चांदी’, Jio ने इस मामले में Airtel और Vi को पछाड़ा उचित रंगों के इस्तेमाल से सही कर सकते हैं अपने घर का वास्तु…जानें कौन से रंग लायेगें घर में पॉजीटिवि... भागे-भागे फिर रहे हाफिज सईद और मसूद अजहर, मौत से बचने के लिए बिल में घुसे चौसा से लेकर तोतापरी तक, जानिए भारत में मिलने वाले आमों के नाम की दिलचस्प कहानियां इतना मारा, इतना मारा कि बल्ला ही टूट गया, केएल राहुल कर रहे बड़े मैच की घनघोर तैयारी न ऋतिक की वॉर 2, न सनी देओल की लाहौर 1947, बिना बड़े स्टार वाली ये पिक्चर जीत गई सबसे बड़ी जंग मंडप पर रसगुल्ला खाकर दुल्हन बोली- मैं हाथ धोकर आई… फिर पता चला ऐसा सच कि गुस्से में दूल्हे ने फेंका... पत्नी और ससुराल वालों ने किया परेशान, पति ने होटल के कमरे में लगाई फांसी… भाई को भेजी वीडियो पहलगाम के गुनहगारों पर पहला एक्शन, मिट्टी में मिलाया गया आदिल-आसिफ का घर
देश

जम्मू-कश्मीर में 6 महीने और लगा रहे राष्ट्रपति शासन, शाह का प्रस्ताव लोकसभा में मंजूर

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात के लिए कांग्र्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को दावा किया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तब के गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की सहमति के बिना कश्मीर के एक भाग को पाकिस्तान को दे दिया। उन्होंने राज्य को धर्म के आधार पर बांटने को देश के पहले प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी भूल भी बताया। साथ ही जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 पर कहा कि यह अस्थायी व्यवस्था है अस्थाई नहीं।

जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ाने के विधेयक पर लोकसभा में चर्चा के दौरान शाह ने कहा ‘किसने कश्मीर में सीजफायर का फैसला लिया? ये जवाहर लाल नेहरू ने किया और कश्मीर का बड़ा हिस्सा (गुलाम कश्मीर) पाकिस्तान को दे दिया। आप कहते हैं कि हम लोगों को विश्र्वास में नहीं लेते हैं, लेकिन नेहरू जी ने उस समय के गृह मंत्री को भरोसे में लिए बिना ये फैसला लिया। इसलिए मनीष जी (मनीष तिवारी) हमें इतिहास मत समझाइए।’ जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाने के लिए मनीष तिवारी द्वारा सरकार की आलोचना करने पर शाह ने कांग्र्रेस पर तीखा प्रहार किया।

उन्होंने कहा, ‘वे कह रहे हैं कि हम जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं। इस समय से पहले, अब तक वहां 132 बार अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) लगाया गया है, इनमें से 93 बार यह कांग्रेस ने किया है। अब ये लोग हमें लोकतंत्र सिखाएंगे?’ इससे पहले, जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गावों के लोगों को नियंत्रण रेखा के समीप रहने वाले लोगों की तरह आरक्षण का लाभ देने के दो विधेयकों पर लोकसभा ने मुहर लगा दी।

आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति : गृहमंत्री शाह ने साफ किया कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में इंसानियत, जम्हूरियत, और कश्मीरियत की नीति पर ही काम कर रही है। लेकिन आतंकवाद के खिलाफ उसकी ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति है। वहां जिसके भी मन में भारत विरोध है, उसके अंदर डर पैदा होना चाहिए।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतरः अमित शाह ने आतंकवाद के खिलाफ पहले और अब की लड़ाई में अंतर बताते हुए कहा कि पहले भारत विरोधी बयानबाजी करने वाले नेताओं को पुलिस सुरक्षा दी जाती थी। हमारी सरकार ने 919 ऐसे लोगों की सुरक्षा वापस ले ली है। पिछले तीन दशक से आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई कश्मीर घाटी तक सीमित थी, जबकि राजग सरकार ने सर्जिकल और एयर स्ट्राइक कर आतंकवाद की जड़ पर प्रहार किया है।

अनुच्छेद 370 अस्थायी व्यवस्था : जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 पर विपक्ष की आशंकाओं का जवाब देते हुए अमित शाह ने उन्हें इस अनुच्छेद को ठीक से पढ़ने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि खुद अनुच्छेद में ही साफ तौर पर लिखा गया है कि यह अस्थायी है। लेकिन उन्होंने अनुच्छेद 370 पर सरकार की किसी कार्ययोजना की जानकारी नहीं दी।

आयोग जब चाहे चुनाव कराएः राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के विपक्ष के विरोध और विधानसभा चुनाव कराने की मांग का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है। चुनाव आयोग जब भी तय करेगा सरकार चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है। वहीं विपक्ष की ओर आशंका जताई गई कि सरकार फिर परिसीमन या फिर किसी अन्य बहाने से आगे भी राष्ट्रपति शासन बढ़ाने की कोशिश कर सकती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button