ब्रेकिंग
सद्गुरु के साथ विशेष सत्संग… ईशा योग केंद्र में आज शाम 7 बजे से गुरु पूर्णिमा का भव्य उत्सव जम्मू-कश्मीर: पुंछ में आतंकी ठिकाने का भंडाफोड़, भारी तादाद में हथियार बरामद पूरे विश्व को भारत ही दे सकता है ज्ञान और शिक्षा… गुरु पूर्णिमा पर बोले स्वामी राम देव गाजीपुर के महाहर धाम का त्रेतायुग से नाता, यहां विराजमान 13 मुखी शिवलिंग; सावन में कांवड़िया चढ़ाते ... जनता ने चाहा तो मैदान में फिर उतरूंगा… महुआ मेडिकल कॉलेज विजिट के दौरान बोले तेज प्रताप यादव हिंदी हमारी मां, मराठी हमारी मौसी… नए नारे के साथ मुंबई में उतरी BJP पटना में फिर मर्डर, इस बार बालू कारोबारी को बदमाशों ने मारी गोली; बाग में टहलते समय किया शूट नीले ड्रम का ‘शुद्धीकरण’, कांवड़िया बोला- मुस्कान ने बदनाम कर दिया था, गंगा जल से होगा शुद्ध दिल्ली के जय हिंद कॉलोनी की घटना पर बिफरीं ममता, लगाया बंगालियों के साथ भेदभाव करने का आरोप गुरु पूर्णिमा के दिन ‘गुरु’ की हत्या, छात्र ने प्रिंसिपल को चाकू से गोदा; किस बात से था नाराज?
देश

11 दिनों में इतने लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा बफार्नी के दर्शन

जम्मूः अमरनाथ यात्रा के लिए शुक्रवार को जम्मू से 5,395 श्रद्धालुओं का एक और जत्था रवाना हुआ। इस साल एक जुलाई से यात्र शुरू होने के बाद से अब तक 1.44 लाख से अधिक श्रद्धालु समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊपर स्थित बाबा बफार्नी के दर्शन कर चुके हैं। अधिकारियों ने कहा कि एक जुलाई को यात्र शुरू होने के बाद से अब तक 11 दिनों में 1,44,058 श्रद्धालुओं ने पवित्र शिवलिंग के दर्शन कर लिए हैं।

पुलिस ने आज यहां कहा कि 5,395 यत्रियों का एक और जत्था आज सुबह भगवती नगर यात्री निवास से घाटी के लिए दो सुरक्षा काफिले में रवाना हुआ। पुलिस ने आगे बताया, ‘इनमें से 1,966 यात्री बालटाल आधार शिविर जा रहे हैं जबकि 3,429 यात्री पहलगाम आधार शिविर जा रहे हैं।’ श्रद्धालुओं के अनुसार, अमरनाथ गुफा में बर्फ की विशाल संरचना बनती है जो भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों की प्रतीक है। तीर्थयात्री पवित्र गुफा तक जाने के लिए या तो अपेक्षाकृत छोटे 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से जाते हैं या 45 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग से जाते हैं।

दोनों आधार शिविरों पर हालांकि तीर्थ यात्रियों के लिए हैलीकॉप्टर की सेवाएं हैं। बर्फ की आकृति चंद्रमा की गति के साथ-साथ अपनी संरचना बदलती है। स्थानीय मुस्लिमों ने भी हिंदू तीर्थयात्रियों की सुविधा और आसानी से यात्र सुनिश्चित कराने के लिए बढ़-चढ़कर सहायता की है। इसे स्वीकार करते हुए प्रदेश के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि अमरनाथ यात्र को शांतिपूर्ण तरीके से पूरी करना सिर्फ स्थानीय मुस्लिमों की सक्रियता के कारण ही संभव हुआ है।

पवित्र गुफा की खोज सन 1850 में एक मुस्लिम चरवाहा बूटा मलिक ने की थी।किवदंतियों के अनुसार, एक सूफी संत ने चरवाहे को कोयले से भरा एक बैग दिया था, बाद में कोयला सोने में बदल गया था। लगभग 150 सालों से चरवाहे के वंशजों को पवित्र गुफा पर आने वाले चड़ावे का कुछ भाग दिया जाता है। इस साल 45 दिवसीय अमरनाथ यात्र का समापन 15 अगस्त को श्रवण पूर्णिमा के साथ होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button