दिल्ली विधानसभा चुनाव में शीला दीक्षित के नाम को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी कांग्रेस

नई दिल्ली। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भले अब इस दुनिया में नहीं रहीं, लेकिन कांग्रेस के लिए उनकी अनदेखी करना अब भी असंभव है। वजह, दिवंगत शीला के व्यक्तित्व और कृतित्व के सिवाए प्रदेश कांग्रेस के पास ऐसी कोई पतवार नहीं है जो दिल्ली विधानसभा चुनाव में उसकी नैय्या को पार लगा सके
प्रदेश कांग्रेस के शीला समर्थक ही नहीं, उनके विरोधी नेता-कार्यकर्ता भी बताते हैं कि चाहे बिजली का निजीकरण हो या डीटीसी बसों सहित तमाम सार्वजनिक वाहनों को डीजल से सीएनजी में बदलना, स्कूलों-अस्पतालों का विस्तार हो या दिल्ली को फ्लाइओवरों का शहर बनाना, चाहे दिल्ली का ढांचागत विकास हो या मेट्रो की शुरुआत। कांग्रेस के 15 साल लंबे इस कार्यकाल की ढेरों ऐसी उपलब्धियां हैं जो आज भी हर दिल्लीवासी को कांग्रेस की ओर उन्मुख कर देती है। इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव में भी प्रदेश कांग्रेस को अपने चुनावी अभियान का आधार शीला के कामकाज को ही बनाना होगा।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन का कहना है कि यह एकदम सौ फीसद सच है कि पार्टी दिल्ली में शीला दीक्षित की अनदेखी नहीं कर सकती। यहां रहने वाले अन्य राज्यों के लोग भी उनके प्रशंसक रहे हैं। इसलिए उन्हीं के कामकाज और उपलब्धियों को आधार बनाकर पार्टी को अपना चुनाव प्रचार अभियान तय करना होगा। उनके प्रति दिल्ली वासियों का सम्मान ही पार्टी का मान बनाए रख सकता है।