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मध्यप्रदेश

60 साल की केमिस्ट्री प्रोफेसर को पति की हत्या में मिली उम्रकैद की सजा, हाईकोर्ट में दी ऐसी साइंटिफिक दलील, मिल गई जमानत

मध्य प्रदेश के छतरपुर सेशन कोर्ट ने एक महिला प्रोफेसर को पति की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई थी. महिला प्रोफेसर ने फिर इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. वहां अपनी दलील दीं. हाईकोर्ट में अपने बचाव में जज के सामने वह खुद तर्क पेश कर रही थी. 60 साल की महिला का तर्क सुनकर जज साहब भी चौंक गए. फिर जज ने महिला को जमानत दे दी. इसका वीडियो भी वायरल हुआ है.

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में 60 साल की महिला प्रोफेसर ममता पाठक हाईकोर्ट के जज को जले हुए निशानों के विभिन्न प्रकारों के बारे में बताती दिखीं. दरअसल, जज ने महिला से कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बिजली के झटके से उसके पति की मौत की पुष्टि हुई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट का खंडन करते हुए महिला ने काफी डिटेल के साथ जलने के प्रकारों का वर्णन किया. इस पर जज ने पूछा कि क्या वह प्रोफेसर हैं? महिला ने जवाब दिया कि वह रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) की प्रोफेसर हुआ करती थीं.

ममता पाठक पर 2021 में अपने पति नीरज पाठक की बिजली का झटका देकर हत्या करने का आरोप लगा था. सेशन कोर्ट ने ममता को हत्या का दोषी करार दिया. फिर 2022 में उम्रकैद की सजा सुनाई। उन्होंने सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाल ही में कोर्ट में खुद का बचाव करते हुए उनका एक वीडियो क्लिप वायरल हुआ, जिसे देख हर कोई चौंक गया.

करंट से मार डालने का आरोप

इस साल अप्रैल में रिकॉर्ड की गई क्लिप में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल पूर्व प्रोफेसर से कहते दिखाई दिए- आप पर अपने पति की बिजली का करंट लगाकर हत्या करने का आरोप है. पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने कहा है कि शव पर बिजली का करंट लगने के स्पष्ट निशान थे. पूर्व महिला प्रोफेसर ने इस निष्कर्ष को खारिज करते हुए दावा किया कि इस तरह के जलने के निशान का निर्धारण संभव नहीं है. उन्होंने एक संक्षिप्त विवरण में बताया कि बिजली और ऊतक (टिश्यू) कैसे परस्पर क्रिया करते हैं. समझाया है कि जलन थर्मल है या इलेक्ट्रिकल. साथ ही बताया कि इसका विश्लेषण करने के लिए एसिड का उपयोग कैसे किया जाता है.

जज रह गए जवाब सुनकर हैरान

उन्होंने इस दावे को खारिज किया कि बिजली के झटके का निर्धारण केवल देखकर किया जा सकता है. महिला का जवाब सुनकर जज भी हैरान हो गए. उन्होंने बीच में ही उन्हें रोककर पूछा कि क्या वह रसायन विज्ञान की प्रोफेसर हैं? महिला ने जवाब दिया कि वह रसायन विज्ञान की प्रोफेसर हुआ करती थीं. ममता पाठक ने जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष अपना पक्ष रखा. पिछली सुनवाई के बाद खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था और महिला को जमानत पर छोड़ दिया गया था.

क्या है ये पूरा मामला?

मध्य प्रदेश पुलिस ने ममता पाठक को अपने पति 63 साल के सेवानिवृत्त सरकारी डॉक्टर नीरज पाठक की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था. आरोप लगा कि ममता ने पति को नींद की गोलियां दी थीं फिर बिजली के झटके दिए. इसके बाद वह झांसी छोड़कर चली गईं और दावा किया कि जब वह वापस लौटीं तो उन्होंने अपने पति को मृत पाया. हालांकि, पुलिस को सोशल मीडिया पर वायरल हुए नीरज पाठक के ऑडियो मिले, जिसमें दावा किया गया था कि उनकी पत्नी उन्हें प्रताड़ित करती थी.

पति पर लगाया था आरोप

पुलिस ने आरोप पत्र में कहा था कि ममता को पता चला कि नीरज पाठक किसी दूसरी महिला के साथ रिश्ते में हैं. ममता ने जनवरी 2021 में पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी कि उनके पति उन्हें खाने में बेहोशी की गोलियां मिलाकर देते थे, ताकि वो किसी दूसरी महिला से मिल सकें. हालांकि, बाद में उन्होंने शिकायत वापस ले ली. सत्र न्यायालय ने उसे हत्या का दोषी पाया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसके बाद उसने इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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