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आचार्य चाणक्य के इन मूलमंत्रों से बदल सकता है आपका पूरा व्यक्तित्व

आचार्य चाणक्य ने द्वारा नीतिशास्त्र में जीवन के हर क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण बातों का जिक्र किया गया है। यदि इन बातों को ध्यान में रखा जाए तो व्यक्ति समस्याओं से तो बच ही सकता है साथ ही एक संतुष्ट और सफल जीवन भी व्यतीत कर सकता है।

नीतिशास्त्र के अनुसार, युवावस्था मनुष्य के जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है। अगर आपके अंदर आत्मविश्वास तो वह बड़ी से बड़ी जंग को जीता जा सकता है। आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य के उन मूलमंत्रों के बारे में जिससे आपके व्यक्तित्व में लग सकते हैं चार चांद।

बिना ज्ञान के सुंदरता का कोई मोल नहीं
आचार्य चाणक्य के अनुसार जब तक व्यक्ति के पास ज्ञान और विद्या जैसे प्रमुख गुण नहीं है तब तक किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व बेमानी है। उस व्यक्ति का व्यक्तित्व उन फूलों की तरह है जो देखने में तो बहुत ही खूबसूरत होता है लेकिन उसमें किसी भी परक की सुगंध नहीं होती। इसलिए कभी भी किसी व्यक्ति से मित्रता करनी है या उसके करीब जाना है तो उसकी सुंदरता की नहीं उसके गुणों को देखकर आगे बढ़ें।

संपत्ति के केवल उचित पात्र के हाथ में दें
आचार्य चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति ये मानते हैं कि पुत्र ही सभी संपत्ति का उत्तराधिकारी होता है तो यह बात बिल्कुल निराधार है। जो व्यक्ति ज्ञानी होते हैं वह अपनी संपत्ति उसी व्यक्ति के हाथ में सौंपते हैं जो उनके बाद उनकी संपत्ति का सदुपयोग कर सकें। इसलिए बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी संपत्ति किसी उचित व्यक्ति को ही सौंपनी चाहिए जो इसके लायक हो।

मन को करें नियंत्रित
चाणक्य नीति कहती है कि मनुष्य के नियंत्रण उसका मन नहीं रहता है और उसका मन इधर-उधर भटकता राहत है। वो कहते हैं न कि मन चंचल होता है। यदि मनुष्य ने अपने मन को साधन सीख बड़ा तपस्वी कोई नहीं है। और जो व्यक्ति मन को नियंत्रण में रख लेता है तो वह संतोषी स्वभाव का हो जाता है। और साथ ही व्यक्ति के मन में किसी भी प्रकार का लोभ नहीं रहता। ऐसे व्यक्ति को अपने मन को साधना आना चाहिए।

जैसा अन्न वैसा मन
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य जिस प्रकार का अन्न का सेवन करता है उसका व्यक्तित्व भी उसी प्रकार का हो जाता है। भोजन को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है सात्विक, राजसिक और तामसिक भोजन। सात्विक भोजन करने वाले का व्यक्तित्व शांत होता है, राजसिक भोजन करने वाले मनुष्य अलग नजर आते हैं और तामसिक भोजन करने वाले मनुष्य के मन में क्रोध और उग्रता देखने को मिलती है। इसलिए सात्विक, राजसिक, तामसिक भोजन का असर व्यक्ति के विचारों पर भी पड़ता है।

शिक्षा से मिलता है सम्मान
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में अपने विचार रखते हुए कहा है कि यदि आपने शिक्षा प्राप्त की है तो आपको हर स्थान में सम्मान मिलेगा। और आप भी सही और गलत कि पहचान कर पाएंगे। वो व्यक्ति जहां जाता है ज्ञान का प्रसार करता है। इसलिए उसे हर जगह सम्मान मिलता है। इसलिए शिक्षा बेहद आवश्यक है, यह आपके व्यक्तित्व को निखारती है।

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