CWC की बैठक के बाद बोले राहुल गांधी- मैं अध्यक्ष के तौर पर नहीं करना चाहता काम

लोकसभा चुनाव में करारी हार के कारणों पर मंथन करने के लिए कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक खत्म हो गई है। बैठक के बाहर आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि मैं अध्यक्ष के तौर पर काम नहीं करना चाहता, हालांकि मैं पार्टी के लिए काम करता रहूंगा। दरअसल राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की पेशकश की जिसे सीडब्ल्यूसी ने नामंजूर कर दिया।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन तथा पार्टी को मजबूत बनाने की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया। इस दौरान राहुल गांधी ने आम चुनाव में पार्टीकी हार के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हुए इस्तीफा देने की पेशकश की लेकिन समिति के सभी सदस्यों ने एकमत से उनसे ऐसा नहीं करने के का आग्रह किया।
कार्य समिति की बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई। बैठक में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह, पाटी महासचिव केसी वणुगोपाल, वरिष्ठ नेता एके एंटनी, प्रियंका गांधी वाड्रा, पार्टी कोषाध्यक्ष अहमद पटेल, कैप्टन अमरेंद्रसिंह, शीला दीक्षित सहित लगभग सभी सदस्य मौजूद हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस को इस लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। वह 52 सीटों पर सिमट गई है। 2014 के चुनाव में 44 सीटें जीतने वाली पार्टी को इस बार बेहतर की उम्मीद थी, लेकिन उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी ली थी। उसके बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस जीत कर सत्ता में पहुंची। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो पंद्रह साल बाद कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा था। लेकिन कुछ ही महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव के शुक्रवार को आए नतीजों ने सभी को चौंका दिया। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की बुरी हार हुई। यहां तक कि मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट से कई बार सांसद रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपना चुनाव हार गए। गुना सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट रही है। सबसे आश्चर्यजनक परिणाम उत्तर प्रदेश में अमेठी लोकसभा सीट का रहा, जहां राहुल गांधी खुद अपना चुनाव हार गए। अमेठी में गांधी परिवार को पहली बार शिकस्त मिली है। इसके साथ उत्तर-पूर्व के ज्यादातर हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा।