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मध्यप्रदेश

मौत के बाद नाबालिग को मिला न्याय

जिले के आरोन इलाके से बच्ची को बहला-फुसलाकर ले जाने और उससे रेप के आरोपी को अदालत ने 10 वर्ष की सजा सुनाई है। बरामद हो जाने के कुछ दिन बाद ही नाबालिग की मौत हो गयी थी। उसके केवल कोर्ट में धारा 164 के बयान ही हो पाए थे। मामले में उसका परीक्षण होना भी संभव नहीं हो पाया था। कोर्ट ने उन्ही बयानों को आधार मानते हुए आरोपी को सजा सुनाई। पॉक्सो मामलों की विशेष न्यायाधीश वर्षा शर्मा ने मामले में सजा सुनाई।मामला वर्ष 2016 का है। 29-30 मार्च को रात लगभग 2 बजे 17 वर्षीय नाबालिग को एक व्यक्ति मोटरसाइकिल से ले जा रहा था। इसी दौरान नाबालिग के चाचा ने उन्हें जाते हुए देखा और रोककर पूछा तो उन्होंने बताया कि नाबालिग का पेट दर्द कर रहा है, इसलिए डॉक्टर के पास ले जा रहे हैं। अगली सुबह नाबालिग के गायब होने की जानकारी लगी तो बच्ची के परिवार वालों ने युवक के घरवालों से कहा। युवक के घरवालों ने कहा कि वह बच्ची को वापस करा देंगे।डॉक्टर के यहां ले जाने के बजाय युवक नाबालिग को बाइक से पगारा रेलवे स्टेशन लेकर पहुंचा। वहां से ट्रेन में बिठाकर इंदौर ले गया। उसे शादी के नाम पर बहला-फुसलाकर ले गया। वहां एक घर में रखा और उसके साथ रेप किया। घटना वाले दिन बच्ची के पिता का कोटा में इलाज चल रहा था। उसकी मां ने घटना की सूचना दी तो उसके पिता और भाई घर वापस लौटे। जब कई दिन तक नाबालिग वापस नहीं लौटी तो परिवार वालों ने थाने में मामला दर्ज कराया।9 अप्रैल को पुलिस ने नाबालिग को इंदौर से बरामद किया। अगले दिन आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया। नाबालिग के मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के बयान ही हो पाए थे। कुछ दिन बाद ही नाबालिग की मौत हो गयी। अदालत में नाबालिग के परिवार वाले भी होस्टाइल हो गए। उन्होंने कहा कि नाबालिग अपनी मर्जी से उसके साथ गयी थी। कोर्ट में चली सुनवाई के बाद अदालत ने आरोपी शिवनंदन शर्मा(21) को दोषी माना। कोर्ट ने उसे 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।

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