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पाकिस्तानी मीडिया में भी राम मंदिर फैसले की गूंज, दी हैरानीजनक प्रतिक्रिया

इस्लामाबादः सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या राम मंदिर को लेकर आए ऐतिहासिक फैसले की गूंज पाकिस्तान में भी सुनाई दे रही है। पाक मीडिया में इसको लेकर हैरानीजनक प्रतिक्रिया सामने आई है। पाकिस्तान के मीडिया में करतारपुर कॉरिडोर जैसे ऐतिहासिक पलों को दरकिनार कर अयोध्या मामले को सुर्खियां बनाते  सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर बनाने के फैसले को मुस्लिम समुदाय के साथ बड़ी नाइंसाफी बताया गया है।

जानबूझ कर बदली गई फैसले की तारीख
पाक टीवी चैनलों पर बहस का हिस्सा बन रहे विशेषज्ञों का कहना है कि यह एकतरफा और राजनीति से प्रभावित व दबाव में लिया गया फैसला है । उनका कहना कि अदालत ने प्रधानमंत्री मोदी को खुश करने के लिए हिंदुओं के हक में फैसला दिया । पाक मीडिया के अनुसार राम मंदिर के फैसले की तारीख बदल कर करतारपुर कॉरिडोर के एतिहिसक दिन का एंकाऊंटर कर दिया गया । कहा जा रहा है कि भारत में विपक्ष भी मोदी के दबाव में हैं और सरकार के किसी भी फैसले के खिलाफ आवाज उठाने में नाकामयाब साबित हो रहा है।

मोदी ने मुसलमानों को दिया बड़ा झटका
उनका कहना है कि भारत में मुसलमानों सहित सभी अल्पसंख्यक असुरक्षित  हैं और दुनिया का  सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाने वाला देश भारत अपने  उदार व स्वार्थहीन असली एजेंडे से भटक गया है। पाक मीडिया  का कहना है कि पाकिस्तान से करतारपुर कॉरिडोर का श्रेय छीनने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने  जानबूझ कर फैसले की तारीख में तबदीली करवाई ताकि पूरी दुनिया का ध्यान इससे हटाया जा सके और मोदी इसमें कामयाब भी हो गए ।  पाक मीडिया के अनुसार कश्मीर फैसले के बाद मोदी ने अयोध्या पर मुसलमानों को बड़ा झटका दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये फैसला 
अय़ोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया है जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया है।  सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने शनिवार को अयोध्या केस पर फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने 45 मिनट तक फैसला पढ़ा और कहा कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए और इसकी योजना 3 महीने में तैयार की जाए। कोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया और कहा कि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की जाए। सीजेआई गोगोई ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम विवादित स्थान को जन्मस्थान मानते हैं, लेकिन आस्था से मालिकाना हक तय नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है, हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है।

जानें राम मंदिर पर फैसले की खास बातें

  • चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा- मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई। धर्मशास्त्र में प्रवेश करना अदालत के लिए उचित नहीं होगा।
  • विवादित जमीन रेवेन्यू रिकॉर्ड में सरकारी जमीन के तौर पर चिह्नित थी।
  • राम जन्मभूमि स्थान न्यायिक व्यक्ति नहीं है, जबकि भगवान राम न्यायिक व्यक्ति हो सकते हैं।
  • चीफ जस्टिस ने कहा- हम सर्वसम्मति से फैसला सुना रहे हैं। इस अदालत को धर्म और श्रद्धालुओं की आस्था को स्वीकार करना चाहिए और संतुलन बनाए रखना चाहिए।
  • 1946 के फैजाबाद कोर्ट के आदेश को चुनौती देती शिया वक्फ बोर्ड की विशेष अनुमति याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया। शिया वक्फ बोर्ड का दावा विवादित ढांचे पर था। इसी को खारिज किया गया है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज किया। निर्मोही अखाड़े ने जन्मभूमि के प्रबंधन का अधिकार मांगा था।
  • विवादित ढांचा इस्लामिक मूल का ढांचा नहीं था। बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। मस्जिद के नीचे जो ढांचा था, वह इस्लामिक ढांचा नहीं था।
  • ढहाए गए ढांचे के नीचे एक मंदिर था, इस तथ्य की पुष्टि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) कर चुका है। पुरातात्विक प्रमाणों को महज एक ओपिनियन करार दे देना एएसआई का अपमान होगा। हालांकि, एएसआई ने यह तथ्य स्थापित नहीं किया कि मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई।
  • हिंदू इस स्थान को भगवान राम का जन्मस्थान मानते हैं, यहां तक कि मुस्लिम भी विवादित जगह के बारे में यही कहते हैं। प्राचीन यात्रियों द्वारा लिखी किताबें और प्राचीन ग्रंथ इस बात को दर्शाते हैं कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि रही है। ऐतिहासिक उद्धहरणों से भी संकेत मिलते हैं कि हिंदुओं की आस्था में अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि रही है।
  • ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है, हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है। हालांकि, मालिकाना हक को धर्म, आस्था के आधार पर स्थापित नहीं किया जा सकता। ये किसी विवाद पर निर्णय करने के संकेत हो सकते हैं।
  • यह सबूत मिले हैं कि राम चबूतरा और सीता रसोई पर हिंदू अंग्रेजों के जमाने से पहले भी पूजा करते थे। रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य बताते हैं कि विवादित जमीन का बाहरी हिस्सा हिंदुओं के अधीन था।

 

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