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पंजाब

गोल्डन ट्रायंगल से ऑपरेट हो रहा था हाई-टेक साइबर फ्रॉड, ED की चार्जशीट में बड़ा खुलासा

देश में तेजी से बढ़ रहे साइबर ठगी के मामलों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा किया है. ED द्वारा हाल ही में दाखिल चार्जशीट में सामने आया है कि भारत के सैकड़ों युवाओं को विदेश में नौकरी का लालच देकर गोल्डन ट्रायंगल (थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमा से सटे इलाकों) में बंधक बनाकर साइबर अपराध करवाए जा रहे थे.

ED के अनुसार, इस अंतरराष्ट्रीय साइबर रैकेट के जरिए अब तक करीब 159.70 करोड़ रुपए की ठगी की जा चुकी है. ठगों ने सोशल मीडिया, फर्जी निवेश कंपनियों, क्रिप्टोकरेंसी और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के माध्यम से हजारों लोगों को अपने जाल में फंसाया.

फेसबुक, इंस्टाग्राम, WhatsApp और Telegram जैसे प्लेटफॉर्म्स पर निवेश के झूठे वादों वाले आकर्षक विज्ञापन दिखाए जाते थे. पीड़ितों को पेशेवर WhatsApp ग्रुप्स में जोड़ा जाता था, जहां पहले से मौजूद फर्जी ‘निवेशक’ मुनाफा कमाने का दिखावा करते थे.

फर्जी ऐप्स और नकली मुनाफा

पीड़ितों को IC ORGAN MAX, Techstars.shop और GFSL Securities जैसे नकली मोबाइल ऐप डाउनलोड करने को कहा जाता था. इन ऐप्स में फर्जी IPO और स्टॉक्स दिखाकर शुरूआत में नकली मुनाफा दिखाया जाता था, जिससे लोग अधिक निवेश करने लगते थे. इसके बाद टैक्स, ब्रोकरेज और अन्य चार्ज के नाम पर करोड़ों की ठगी की जाती थी.

गोल्डन ट्रायंगल बना साइबर अपराध का अड्डा

जांच में सामने आया है कि थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमा पर स्थित इमारतों में यह साइबर ठगी ऑपरेशन चलाया जा रहा था. चीनी नागरिक इन अड्डों की अगुवाई कर रहे थे और भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश से लाए गए युवाओं से अंग्रेजी में चैट करवाई जाती थी. मना करने पर उन्हें धमकाया जाता था, मारपीट की जाती थी और पासपोर्ट ज़ब्त कर लिए जाते थे.

उत्तर प्रदेश से लाओस तक धोखा

उत्तर प्रदेश के मनीष तोमर ने बताया कि एक Instagram इन्फ्लुएंसर ने उसे सिंगापुर में नौकरी दिलाने का वादा किया और 50 हजार रुपए लिए. बाद में उसे लाओस भेज दिया गया जहां उसका पासपोर्ट जब्त कर, साइबर ठगी करने पर मजबूर किया गया.

देशभर से करोड़ों की ठगी के मामले

  • फरीदाबाद: महिला से 7.59 करोड़ की ठगी
  • नोएडा: कारोबारी से 9.09 करोड़ हड़पे
  • बठिंडा: डॉक्टर को 5.93 करोड़ का चूना लगाया

फर्जी कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग

ED ने बताया कि इस घोटाले के लिए तमिलनाडु और कर्नाटक में 24 फर्जी कंपनियां बनाई गई थीं. ये कंपनियां को-वर्किंग स्पेस के पते पर रजिस्टर्ड थीं और उनके नाम पर चल रहे डायरेक्टर्स को भी इसकी जानकारी नहीं थी.

क्रिप्टोकरेंसी और फर्जी सिम से मिटा रहे थे सुराग

जालसाज फर्जी सिम कार्ड्स के जरिए नकली बैंक अकाउंट्स और WhatsApp ग्रुप्स बनाते थे. ठगी के पैसे को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर विदेश भेज दिया जाता था जिससे ट्रेस करना मुश्किल हो जाता था।

ED की कार्रवाई, गिरफ्तारियां और जब्ती

प्रवर्तन निदेशालय ने कर्नाटक और तमिलनाडु में 19 ठिकानों पर छापेमारी कर 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. 2.81 करोड़ रुपए की राशि फ्रीज़ की जा चुकी है. चार्जशीट 10 अक्टूबर 2024 को बेंगलुरु की विशेष PMLA कोर्ट में दाखिल की गई थी, जिसे 29 अक्टूबर को कोर्ट ने संज्ञान में लिया. जांच अब भी जारी है.

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