जब सोने की बाढ़ ने डुबो दी थी इस देश की अर्थव्यवस्था, सुधार में लगे थे 12 साल

ग्लोबल मार्केट में टेंशन के माहौल के बीच इन दिनों सोने की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले कुछ समय में गोल्ड के भाव 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम भी हो सकते हैं. ऐसे में अगर किसी के पास 1 तोला-2 तोला सोना भी हो तो उसके क्या कहने. लेकिन क्या आपको पता है कि इतिहास में एक घटना ऐसी भी हुई है, जब अकूत सोने के भंडार के चलते एक देश की इकोनॉमी डूब गई थी, जिसे पटरी में आने में 12 साल लग गए थे.
अमीर शासक की कहानी
कहानी साल 1324 ई की है. जब मिस्र की अर्थव्यव्स्था सोने के कारण अस्त-व्यस्त हो गई थी. वहां के माली साम्राज्य का 9वां शासक मनसा मूसा था, जिसके पास उस दौर में बहुत धन था. वह सन 1324 ई में अपने 60 हजार लोग, 12 हजार गुलाम, 500 घोड़े और 80 ऊंटों के साथ यात्रा पर निकला. उसके साथ चल रहे घोड़े और ऊंट सोने से लदे थे. जब वह मिस्र की राजधानी काइरो पहुंचा, तब उसने काइरो के लोगों को दिल खोलकर सोना बांटा. हर हाथ में सोना था. अमीर हो या गरीब. लेकिन, इस सोने की बाढ़ ने वहां की अर्थव्यवस्था को डुबो दिया. लोगों के पास सोना तो था, पर खरीदने को सामान नहीं थे. काइरो में महंगाई ने आसमान छू लिया. देश में मंदी आ गई, जिसे फिर से उबरने में 12 साल लग गए.
दुनिया का आधा सोना था माली में
ब्रिटिश संग्रहालय के मुताबिक, माली के पास उस वक्त दुनिया का आधा सोना था. मनसा मूसा ने टिम्बकटू को नया रंग दिया. उसकी दौलत इतनी थी कि उसका आज ठीक तरीके से अनुमान लगाना मुश्किल है. 1375 ई के कैटलन एटलस में माली का दबदबा साफ झलकता है. इसमें मनसा मूसा को सिंहासन पर दिखाया गया है. उसके एक हाथ में सोने की गेंद, दूसरे में सोने की छड़ी है. मूसा ने 25 साल तक माली पर राज किया. इतिहासकार बताते हैं कि उसकी संपत्ति का कोई अनुमान नहीं है.