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कितनी तरह की होती हैं मुद्राएं? पतंजलि से जानें करने का सही तरीका और फायदे

योग सिर्फ शरीर को मोड़ने या सांस लेने की क्रिया नहीं है. यह एक गहरा विज्ञान है, जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को संतुलन में लाने का काम करता है. योग की एक खास और असरदार विधि है हस्त मुद्राएं. यानी उंगलियों और हाथों से बनाई जाने वाली खास आकृतियां, जो शरीर की ऊर्जा को संतुलित करती हैं. मुद्राएं दिखने में आसान होती हैं, लेकिन उनका असर बहुत गहरा होता है. ये हमारे शरीर की ऊर्जा, नसों, हार्मोन और दिमाग पर असर डालती हैं. इसे आप एक तरह की ऊर्जात्मक चिकित्सा भी कह सकते हैं. जब कोई व्यक्ति नियमित रूप से इन मुद्राओं को करता है, तो शरीर में सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं और कई रोगों से भी राहत मिलती है.

प्राचीन योग ग्रंथों और पतंजलि योगसूत्र के साथ-साथ बाबा रामदेव की किताब Its Philosophy and Practice में बताया गया है कि ये मुद्राएं ना केवल शारीरिक सेहत के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि मानसिक शांति और खुद के विकास में भी मदद करती हैं. बाबा रामदेव के अनुसार, हमारा शरीर पांच तत्वों से बना है , अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश. जब इन तत्वों में असंतुलन आता है, तो शरीर में बीमारियां होने लगती हैं. लेकिन मुद्राओं के जरिए इस असंतुलन को ठीक किया जा सकता है. तो चलिए जानते हैं कि मुद्राएं कितने प्रकार की होती हैं और इन्हें करने का सही तरीका क्या है, जो शरीर को फायदे पहुंचाती हैं.

क्या होती हैं मुद्राएं?

योग और आयुर्वेद में “मुद्रा” का विशेष महत्व है. आसान भाषा में कहें तो मुद्रा एक विशेष प्रकार की हाथों या शरीर की स्थिति होती है, जो मन, शरीर और ऊर्जा के बीच संतुलन बनाने में मदद करती है. हमारे शरीर की उंगलियों के सिरे पर अलग-अलग ऊर्जा केंद्र (नाड़ियां) होते हैं, और जब हम इन्हें एक खास तरीके से मिलाकर रखते हैं, तो उससे शरीर के अंदर एनर्जी का फ्लो बैलेंस होता है. ये प्रक्रिया न केवल मानसिक शांति देती है बल्कि शारीरिक रोगों में भी लाभकारी मानी जाती है.

कितने प्रकार की होती हैं मुद्राएं?

वैसे तो मुद्राएं कई प्रकार की होती हैं लेकिन हम आज आपको 5 हस्त मुद्राओं के बारे में बताएंगे, जिसमें शामिल हैं ज्ञान मुद्रा, वायु मुद्रा, प्राण मुद्रा, सूर्य मुद्रा और लिंग मुद्रा. योग शास्त्र में हस्त मुद्राएं अत्यंत प्रभावशाली तकनीक मानी जाती हैं जो शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित और संतुलित करती हैं. यह मुद्राएं केवल हाथों की उंगलियों को एक विशेष तरीके से मिलाने का अभ्यास नहीं हैं, बल्कि यह हमारे शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने तकनीक भी है. चलिए इन मुद्राओं के बारे में विस्तार से जानते हैं.

1. ज्ञान मुद्रा

इसके करने के लिए अपनी तर्जनी (index finger) और अंगूठे (thumb) को हल्के से मिलाएं. बाकी तीन उंगलियां सीधा रखें. आंखें बंद कर लें और सामान्य रूप से सांस लें. इस मुद्रा को करने से कॉन्सेंट्रेशन बेहतर होता है और नकारात्मक ख्याल भी कर आते हैं. साथ ही ये दिमाग तेज करने में भी लाभकारी है. अगर बच्चें इसे नियमित करते हैं तो वो बुद्धिमान बनते हैं. इसे करने से गुस्से पर भी कंट्रोल किया जा सकता है. अगर आप बेहतर नतीजे चाहते हैं तो ज्ञान मुद्रा करने के बाद प्राणा मुद्रा कर सकते हैं.

2. वायु मुद्रा

इसे करने के लिए अपनी तर्जनी उंगली को मोड़ें और अंगूठे के मूल में रखें. अंगूठे से तर्जनी को हल्का दबाएं. बाकी उंगलियां सीधी रहें. दोनों हाथों से यह मुद्रा बनाकर घुटनों पर रखें. ये मुद्रा वात से जुड़ी समस्याएं जैसे गैस, गठिया, जोड़ों का दर्द में राहत दिलाती है. अगर आपके नेक और स्पाइन में दर्द रहता है तो इस मुद्रा को कर सकते हैं. ये मुद्रा ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में भी मदद करती है. हालांकि, इसे नियमित रूप से करना होगा. साथ ही वात कम होने पर इस मुद्रा को बंद कर देना चाहिए.

3. प्राण मुद्रा

प्राण मुद्रा करने के लिए अंगूठे को रिंग फिंगर और छोटी उंगली से मिलाएं. तर्जनी और मध्यमा उंगलियां सीधी रखें. साथ ही दोनों हाथों से यह मुद्रा बनाकर घुटनों पर रखें. ये मुद्राएं शरीर को एक्टिव, स्वस्थ और एनर्जेटिक बनती है. इनका अभ्यास आंखों की समस्याओं को दूर करने और आंखों की रोशनी को सुधारने में सहायक होता है. साथ ही यह शरीर इम्यूनिटी को भी बढ़ाती हैं, जिससे बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है. बता दें कि, इस मुद्राओं से शरीर में विटामिन की कमी दूर होती है और थकान मिटती है. यह भूख और प्यास पर नियंत्रण देती हैं, इसलिए लंबे समय के उपवास में आप इसे कर सकते हैं. इसे करने से नींद भी जल्दी आती है.

4. सूर्य मुद्रा

सूर्य मुद्रा भी बेहद लाभकारी है. इसे करने के लिए रिंग फिंगर को मोड़ें और अंगूठे से हल्का दबाएं और बाकी उंगलियां सीधी रखें. इसके बाद दोनों हाथों से यह मुद्रा बनाएं और घुटनों पर रखें. अब इसके फायदों की बात करें तो, इसे करने से वजन घटाने में मददगार मिलती है. साथ ही इसे करने से शरीर की गर्मी भी कम होती है जो पाचन को दुरुस्त करती है. साथ ही ये स्ट्रेस दूर करने, शरीर की ताकत बढ़ाने और बॉडी से कॉलेस्ट्रॉल को करने में भी असरदार है. इस मुद्रा को करने से लिवर और डायबटिज की समस्याओं से भी राहत मिलती है.

सावधानी: यह मुद्रा कमजोर या दुर्बल व्यक्तियों को नहीं करनी चाहिए. साथ ही, गर्मियों के मौसम में इसका अभ्यास बहुत लंबे समय तक नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह शरीर में गर्मी बढ़ाती है. ज्यादा समय तक करने से शरीर में थकावट, जलन या अन्य गर्मी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं.

5. लिंग मुद्रा

लिंग मुद्रा करते समय आपको दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाना है. बाएं हाथ का अंगूठा ऊपर रखें और दाएं हाथ की मुट्ठी से उसे घेर लें. छाती के पास मुद्रा बनाएं और सीधा बैठें. इसे करने से शरीर की आंतरिक गर्मी बढ़ती है. यह मुद्रा सर्दी, जुकाम, अस्थमा, खांसी, साइनस, लकवा (पैरालिसिस) और लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं में लाभकारी मानी जाती है. यह शरीर में जमे हुए बलगम को सुखाने में मदद करती है, जिससे सांस से जुड़ी परेशानियों में राहत मिलती है.

सावधानी: इस मुद्रा का अभ्यास करते समय शरीर में गर्मी बढ़ती है, इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी, फलों के रस, घी और दूध का सेवन करना चाहिए, ताकि शरीर में संतुलन बना रहे. ध्यान रखें कि इस मुद्रा का अभ्यास बहुत लंबे समय तक लगातार नहीं करना चाहिए, वरना शरीर में ज्यादा गर्मी पैदा हो सकती है.

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