ब्रेकिंग
दिल्ली-NCR में झमाझम बारिश से हुई अगस्त की शुरुआत, दिन भर मौसम करेगा निराश, UP-बिहार और राजस्थान से ... ‘ब्रेकअप नहीं हुआ मेरा, अब तो तेरे ही सामने…’, भतीजे संग भागी चाची का पति को जवाब, दिया ये चैलेंज बरेली में जमीन खरीदना हुआ महंगा, सर्किल रेट में 20% की बढ़ोतरी, जानें किस इलाके की जमीन सबसे महंगी सन ऑफ सरदार 2 को पहले पार्ट का बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़ने के लिए कितना कमाना पड़ेगा? ओवल टेस्ट के पहले ही दिन मैच से बाहर हुआ ये खिलाड़ी, अब नहीं खेलेगा मैच! तुर्की की रणनीति में बड़ा बदलाव, नहीं चाहता फिलिस्तीन पर हुकूमत करे हमास सोने की कीमतों में आई गिरावट, 10 ग्राम खरीदने के लिए देने होंगे इतने रुपये Google Play Store के सीक्रेट फीचर्स, नुकसान से बचाने में ऐसे करता है मदद अगस्त में पर्व, त्योहारों की रहेगी धूम…नोट कर लें सबकी डेट और शुभ मुहूर्त, कहीं कोई पर्व छूट ना जाएं... बेजान और ऑयली स्किन को चमकदार बनाने के लिए ट्राई करें ये 5 घरेलू फेस मास्क
विदेश

तुर्की की रणनीति में बड़ा बदलाव, नहीं चाहता फिलिस्तीन पर हुकूमत करे हमास

हमास और इजराइल के बीच जंग में तुर्की ने 360 डिग्री का यूटर्न ले लिया है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयब एर्दोआन हमास के लड़ाकों को भूमिपुत्र बताते रहे हैं, लेकिन अब तुर्की ने उसी हमास से हथियार डालने और गाजा से दूर रहने के लिए कहा है. दरअसल, तुर्की ने उस पत्र पर हस्ताक्षर किया है, जिसे यूएन मे सऊदी ने 2 राष्ट्र सिद्धांत को लेकर पेश किया है. इस पत्र में कहा गया है कि फिलिस्तीन को अलग देश की मान्यता दी जाए और वहां से हमास के प्रभाव को खत्म किया जाए.

बीबीसी के मुताबिक तुर्की उन 16 अरब देशों में शामिल है, जिसने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. तुर्की के अलावा सऊदी, जॉर्डन जैसे देशों ने इस पत्र का समर्थन किया है. इस पत्र को न्यूयॉर्क घोषणापत्र का नाम दिया गया है.

न्यूयॉर्क घोषणा पत्र के बारे में जानिए

28 और 29 जुलाई को यूनाइटेड नेशन के न्यूयॉर्क ऑफिस में 2 राष्ट्र सिद्धांत को लेकर बैठक बुलाई गई थी. बैठक की अध्यक्षता सऊदी अरब ने की. बैठक में फ्रांस और ब्रिटेन ने खुलकर इजराइल और हमास की निंदा की. इसके बाद एक प्रस्ताव तैयार किया गया.

इस प्रस्ताव में कहा गया है कि गाजा और वेस्ट बैंक में तभी शांति आ सकती है, जब फिलिस्तीन को देश के रूप में मान्यता दी जाएगी. फ्रांस समेत 16 देश इसके समर्थन में खुलकर आए हैं. तुर्की ने भी इसका सपोर्ट किया है.

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि फिलिस्तीन जो नया मुल्क बनेगा, वहां की सत्ता राजनीतिक संगठन को ही मिल सकती है. फिलिस्तीन से हमास को हमेशा के लिए जाना होगा. यही पर तुर्की को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

सवाल- तुर्की के साथ यह धोखा क्यों है?

1. तुर्की हमास के लड़ाके को राजनीतिक शरण देते रहा है. इस्माइल हनिया, सालह अल-अरौरी जैसे हमास के नेता एर्दोआन की सरकार में सालों तक तुर्की में रहे. इन लोगों को तुर्की ने नागरिकता भी दी थी. रॉयटर्स के मुताबिक साल 2024 में अमेरिका ने हमास नेताओं को शरण देने के लिए तुर्की को फटकार लगा थी. तुर्की नाटो कंट्री है और अमेरिका इसमें प्रमुख देश है.

2.2011 में एक मध्य पूर्व की मीडिया में एक रिपोर्ट आई थी. इसमें कहा गया था कि तुर्की ने हमास को 300 करोड़ रुपए का फंड दिया था. हालांकि, न तो इसकी पुष्टी कभी तुर्की ने की और न ही हमास ने.

एर्दोआन ने हमास को भूमिपुत्र बताया

मई 2024 में जब हमास की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही थी, तब एर्दोआन ने उसका खुलकर समर्थन किया था. उस वक्त एर्दोआन ने कहा था कि संगठन के लड़ाके अपनी जमीन के लिए लड़ रहे हैं. एर्दोआन के मुताबिक हमास फिलिस्तीनी भूमि की रक्षा करने वाला एक प्रतिरोध संगठन है.

तुर्की के राष्ट्रपति ने हमास की तुलना कुवा-यी मिलिये से की थी. कुवा-यी मिलिये ने तुर्की गणराज्य की स्थापना के लिए तब के शासन के खिलाफ जंग छेड़ी थी. इतना ही नहीं तुर्की के विदेश मंत्री और खुफिया प्रमुख कई दफे हमास के साथ बैठक कर चुके हैं. यही वजह है कि तुर्की के यूटर्न पर सवाल उठ रहे हैं.

Related Articles

Back to top button