पश्चिम बंगालः 973 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा, केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी से मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली: 973 डॉक्टरों के इस्तीफे के बाद केंद्र ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा और वहां चल रही डॉक्टरों की हड़ताल पर राज्य सरकार से अलग-अलग रिपोर्ट मांगी है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। केंद्र ने शनिवार को यह कदम उठाया
- राज्य में पिछले चार बरसों में राजनीतिक हिंसा में लगभग 160 लोग मारे गए हैं। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर और दोषियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए इस तरह की घटनाओं की जांच के संबंध में राज्य सरकार से एक रिपोर्ट मांगी गई है।
- अधिकारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की चल रही हड़ताल पर भी एक अन्य विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। राज्य में डॉक्टरों की हड़ताल से चिकित्सा सेवाएं चरमरा गई हैं।
बैकफुट पर आई ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी डॉक्टरों की हड़ताल और विरोध पर बैकफुट पर आ गई हैं। ममता घायल जूनियर डॉक्टर से मिलने के लिए अस्पताल जाएंगी। इससे पहले हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने राज्य सचिवालय में शनिवार शाम में बैठक का ममता बनर्जी का आमंत्रण ठुकरा दिया और कहा कि मुख्यमंत्री को पहले माफी मांगनी होगी।
10 हजार से ज्यादा डॉक्टर हड़ताल में शामिल
- दिल्ली के AIIMS और 14 बड़े अस्पतालों समेत 18 अस्पताल हड़ताल पर हैं। आज इस हड़ताल में 10 हजार से ज्यादा डॉक्टर शामिल हो रहे हैं। वहीं दिल्ली एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने ममता सरकार को हड़ताली डॉक्टरों की मांगें पूरी करने के लिए 48 घंटों का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने मांगें पूरी नहीं कीं तो एम्स में अनिश्चितकालीन हड़ताल करने पर मजबूर होंगे।
आंदोलन को वापस लेने के लिए राज्य सरकार के लिए तय की छह शर्तें
डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से हिंदुस्तान के कई हिस्सों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। डॉक्टरों से मारपीट का मामला तूल पकड़ता ही जा रहा है, पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली तक के डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं। शुक्रवार को भी डॉक्टरों की हड़ताल के चलते कई मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कोलकाता में नील रत्न सरकार (NRS) मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टरों से मरीज के परिजनों द्वारा मारपीट की घटना के बाद प्रदर्शन शुरू हुआ था। पश्चिम बंगाल में आंदोलनकारी चिकित्सकों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बेशर्त माफी मांगने की मांग की और चार दिनों से चल रहे अपने आंदोलन को वापस लेने के लिए राज्य सरकार के लिए छह शर्तें तय की।
- इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन (आईएमए) ने पश्चिम बंगाल में आंदोलनरत डॉक्टरों के प्रति एकजुटता जताते हुए शुक्रवार से तीन दिन के राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के साथ सोमवार 17 जून को हड़ताल का आह्वान किया है।
- जम्मू एंड कश्मीर डॉक्टर्स कोऑर्डिनेशन कमेटी ने भी हड़ताल करने का ऐलान किया है. जम्मू एंड कश्मीर डॉक्टर्स कोऑर्डिनेशन कमेटी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर और लेह रीजन के सभी अस्पतालों में 15 जून को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक दो घंटे की सांकेतिक हड़ताल रहेगी।
- दिल्ली में कई सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने शुक्रवार को काम का बहिष्कार कर मार्च किया और नारेबाजी की।
- एम्स, सफदरजंग अस्पताल, डॉ राममनोहर लोहिया अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, यूनाइटेड रेजिडेंट एंड डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (यूआरडीए) तथा फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) के एक प्रतिनिधिमंडल ने हर्षवर्धन से मुलाकात की और पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा पर उन्हें एक ज्ञापन दिया।
- पश्चिम बंगाल में कनिष्ठ चिकित्सकों के जारी हड़ताल के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए महाराष्ट्र में करीब 4500 रेजिडेंट डॉक्टरों ने शुक्रवार को एक दिन की हड़ताल की।
- ‘महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स’ (एमएआरडी) ने भी मारपीट के विरोध में हड़ताल की।
- हैदराबाद और तेलंगाना के अन्य जगहों में भी प्रदर्शन किए गए। जयपुर में भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमए) के आह्वान पर राजस्थान में चिकित्सकों ने शुक्रवार को सांकेतिक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। अनेक जगह पर चिकित्सकों ने काली पट्टी लगाकर व काले हेलमेट पहनकर रोगियों को देखा।
- रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के अनेक जिलों में जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया। डॉक्टरों ने विरोधस्वरूप काले फीते बांधे चिकित्सकों पर हमले के विरोध में शुक्रवार को उत्तराखंड में डॉक्टरों ने ड्यूटी के दौरान काले बैज पहने।
- उत्तर प्रदेश में सरकारी डॉक्टरों ने शुक्रवार को विरोधस्वरूप काले फीते बांधकर काम किया । कोलकाता में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों के समर्थन में प्रदेश के डॉक्टरों ने काले फीते बांधे।
- चंडीगढ़ में पीजीआईएमईआर के 1200 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टरों ने घटना के विरोध में प्रदर्शन किया।कोयंबटूर में भी 100 से ज्यादा डॉक्टरों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया।