ब्रेकिंग
यात्रियों को मिली राहत: छठ के लिए रेलवे ने चलाई स्पेशल ट्रेनें, होल्डिंग एरिया और CCTV से निगरानी, ल... उदयपुर में दर्दनाक हादसा! एनिकट पर नहाते समय 4 मासूम बच्चे डूबे, पूरे इलाके में मातम फारूक अब्दुल्ला का सनसनीखेज बयान: 'BJP ने हमें राज्यसभा सीट के लिए डील ऑफर की थी, जिसे हमने ठुकरा दि... खूंटी में खूनी वारदात: मां संग चाचा को आपत्तिजनक हालत में देख बौखलाया बेटा, गुस्से में कर डाला 'काम ... अबूझमाड़ में 'बदलाव' की आहट: गृह मंत्री विजय शर्मा ने लगाई जन चौपाल सूर्य की उपासना का महापर्व छठ शुरू, सरगुजा में घाटों पर लगेगा भक्तों का मेला छत्तीसगढ़ी लोककला हमारी पहचान, जल्द बनेगी फिल्म सिटी : विष्णुदेव साय "पंजाब में 'वीजा स्कैम' का भंडाफोड़! लाइसेंसी इमिग्रेशन सेंटर ने दर्जनों युवाओं को बनाया शिकार, लाखो... Bisleri पीने वालों के लिए शॉकिंग न्यूज़! पानी की क्वालिटी को लेकर आई बड़ी और चौंकाने वाली खबर दिल्ली में 'रेड' और 'ऑरेंज' अलर्ट! 5 इलाकों में दम घोंटू हवा, AQI लगातार गिर रहा, प्रदूषण के कहर से ...
देश

पंजाब में हुआ बड़ा राजनीति गठजोड़, शिअद व बसपा का 25 साल बाद मिलाया हाथ

चंडीग़ढ़। पंजाब में 2022 में होनेवाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नए सियासी समीकरण और गठजोड़ बनने शुरू हो गए हैं। अब उत्‍तर प्रदेश की पूर्व सीएम मायावती और पंजाब के पूर्व मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादलव पूर्व उपमुख्‍यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की पार्टियां करीब आ गई हैं। शिअद और भाजपा में आज गठबंधन हो गया। शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल और बसपा नेता सतीश मिश्रा ने यहां यह एलान किया। दोनों दल मिल कर पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। तीन कृषि कानूनों को लेकर भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से 25 साल बाद साथ आए हैं।

विधानसभा चुनाव में बसपा के हिस्‍से में 20 सीटें और शिअद 97 सीटों पर उतरेगी

यहां पत्रकारों से बातचीत में सुखबीर सिंह बादल और सतीश मिश्रा ने गठबंधन के बारे में घोषणा की। सुखबीर ने कहा कि पंजाब विधानसभा चुनाव में कुल 117 सीटों में ये 20 पर बसपा चुनाव लड़ेगी और शिअद 97 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरेगी।

इससे पहले शनिवार को शिअद विधायक एनके शर्मा ने शनिवार को कहा कि शिअद और बसपा एक बार फिर साथ आ रहे हैं और हम 2022 के विधानसभा चुनाव में क्‍लीन‍स्‍वीप करेंगे। बन रहे नए सियासी समीकरण, सुखबीर बादल व सतीश मिश्रा के बीच हुई लंबी बैठक

बसपा के वरिष्ठ नेता सतीश मिश्रा इस समझौते के लिए शुक्रवार को चंडीगढ़ पहुंचे थे। अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल और उनके बीच लंबी बैठक भी हुई जिसमें सीटों को लेकर बातचीत की गई। बताया जाता है कि सीटों को लेकर अभी बात सिरे नहीं चढ़ी है लेकिन अकाली दल राज्‍य में बसपा को 18 सीटें देने को तैयार है। बसपा की मांग 23 सीटों की है। इनमें दोआबा क्षेत्र के साथ ही फिरोजपुर की सीटों पर पार्टी की नजर है। 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा को दोआबा की कुछ सीटों पर अच्छे वोट मिले हैं जिसे लेकर पार्टी उत्साहित है। गौरतलब है कि पहले भाजपा के हिस्से में भी 23 ही सीटें गठबंधन में थीं।

शिअद 18 सीटें छोड़ने को राजी, बसपा मांग रही है 23

इससे पहले 1996 के लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठजोड़ किया था जिसमें बसपा को तीन सीटों होशियारपुर, फिल्लौर और फिरोजपुर में सफलता मिली थी, लेकिन 1997 के विधानसभा चुनाव तक आते आते यह गठबंधन टूट गया है और अकाली दल ने भारतीय जनता पार्टी के साथ नया गठजोड़ बना लिया।

दिलचस्प बात यह है कि वयोवृद्ध अकाली नेता और एसजीपीसी के तत्कालीन प्रधान गुरचरण सिंह टोहरा अकाली दल और भाजपा के गठजोड़ के खिलाफ थे लेकिन प्रकाश सिंह बादल ने केंद्र में मजबूत साथी की तलाश में टोहरा की सलाह नहीं मानी। टोहरा का यह मानना था कि बसपा के साथ ही हमें समझौता करना चाहिए क्योंकि दलितों के साथ सिखों की धार्मिक और सामाजिक तौर पर पुरानी साझ है।

अब जबकि पंजाब में विधानसभा चुनाव को मात्र आठ महीने बचे हैं। ऐसे में नए बन रहे समीकरणों के चलते इस बार चुनाव काफी दिलचस्प होगा और दलित राजनीति के इर्द गिर्द ही घूमेगा। इससे पहले भारतीय जनता पार्टी ने भी पंजाब में दलित चेहरे को मुख्यमंत्री के तौर पर लाने का एलान किया हुआ है।

इससे पहले कि पार्टी किसी को दलित चेहरे के रूप में आगे करती, उसके अपने पुराने गठजोड़ के साथी शिअद ने 2022 के चुनाव में दलित को उपमुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी। उधर, आम आदमी पार्टी ने भी 2018 में दलित वोट को कैश करने के लिए सुखपाल ¨सह खैहरा को हटाकर हरपाल चीमा के रूप में एक दलित नेता को आगे किया और उन्हें विपक्ष का नेता बनाया। कांग्रेस भी पिछले कई दिनों से दलित वोट बैंक को भुनाने का प्रयास कर रही है।

बसपा को 2017 में मात्र 1.50 फीसद वोट शेयर मिला जो 2019 के संसदीय चुनाव में 3.52 फीसद हो गया। यह पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि थी जिस पर सोचने के लिए दूसरी पार्टियां भी मजबूर हुईं। दोआबा की कई विधानसभा सीटों पर बसपा के उम्मीदवारों ने उम्मीद से कहीं अधिक अच्छा प्रदर्शन किया।

Related Articles

Back to top button