ब्रेकिंग
हरदोई: गुटखा थूकने पर बवाल, भिड़े दो गुट… लहराई राइफल; चार युवकों को उठा ले गई पुलिस ‘हैलो, CBI अधिकारी बोल रहा हूं…’ लखनऊ में 100 साल के बुजुर्ग और बेटे को 6 दिन तक रखा ‘कैद’, ठगे 1.29... साइबर सिटी गुरुग्राम के इन 2 इलाकों पर चला बुलडोजर, 3 कॉलोनियां की ध्वस्त 14 दिन में Rajinikanth की फिल्म ने पार किए 500 करोड़, खतरे में पद्मावत-सैयारा का रिकॉर्ड 3 जून ने हमें बहुत खुशी दी, लेकिन 4 जून को सब बदल गया… RCB ने तीन महीने के बाद क्यों तोड़ी चुप्पी? ईरान के लोग राजधानी तेहरान को छोड़ इन इलाकों में क्यों खरीद रहे हैं घर? क्या महंगी होने वाली है चांदी? 3 दिन बाद बदलने वाला है ये नियम आपकी लापरवाही, हैकर्स की कमाई! OTP और कार्ड के भी बिना खाली हो सकता है अकाउंट दाईं और बाईं सूंड वाले गणपति, घर और मंदिर में क्यों रखी जाती हैं अलग-अलग तरह की प्रतिमाएं? चिया या फ्लैक्स सीड्स, वजन घटाने के लिए दोनों में से क्या है ज्यादा फायदेमंद?
देश

हवा में लटक रही ट्रॉली में फंसे बच्चों के लिए ‘देवदूत’ बनकर आया वायुसेना का गरुड़ कमांडो, रातभर बहलाया बच्चों का मन

बचाव अभियान के दौरान ट्रॉली संख्या-छह में सोमवार शाम ढलते-ढलते सिर्फ दो छोटे बच्चे बच गये जिन्हें अंधेरा हो जाने के कारण वहां से निकाला नहीं जा सका.

Deoghar Ropeway Mishap: झारखंड के देवघर में रविवार को हुई रोपवे दुर्घटना में डेढ़ हजार फुट की उंचाई पर फंसी केबल कार ट्रॉली संख्या छह में दो छोटे बच्चों को ढांढ़स बंधाने के लिए वायुसेना के एक गरुड़ कमांडो ने स्वेच्छा से पूरी रात उनके साथ गुजारी. उसने मानवता की ऐसी मिसाल कायम की जिसकी चारों ओर प्रशंसा हो रही है.

देवघर रोपवे दुर्घटना रविवार को हुई तो 48 लोग लगभग एक दर्जन केबल करों में डेढ़ हजार से दो हजार फुट की ऊंचाई पर लटक गये और उन्हें बचाने का कोई रास्ता राज्य प्रशासन को नहीं सूझ रहा था. ऐसे में भारत सरकार ने वायुसेना के एमआई 17 हेलीकाप्टर के साथ गरुड़ कमांडो को राहत और बचाव कार्य के लिए त्रिकुट पहाड़ियों पर भेजा.

बचाव अभियान के दौरान ट्रॉली संख्या-छह में सोमवार शाम ढलते-ढलते सिर्फ दो छोटे बच्चे बच गये जिन्हें अंधेरा हो जाने के कारण वहां से निकाला नहीं जा सका. ऐसे में तय यह हुआ कि इन बच्चों को मंगलवार की सुबह ट्रॉलियों से बाहर निकाल कर उनके परिजनों को सौंपा जायेगा. उन्हें ट्रॉली से निकालने पहुंचा गरुड़ कमांडो अजीब दुविधा में था.

एक तरफ उसके साथी हेलीकॉप्टर से उसे वापस उपर आने के लिए पुकार रहे थे तो दूसरी तरफ ट्रॉली में बचे दो बच्चे उसकी ओर सहारे की उम्मीद में टकटकी लगाये बैठे थे.

इस घटना के गवाह झारखंड पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक आर के मलिक ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि वायुसेना के उस गरुड़ कमांडो ने अपनी आत्मा की आवाज सुनी और मानवता की नयी मिसाल पेश करते हुए दुर्घटनाग्रस्त रोपवे पर अटकी ट्रॉली संख्या-छह पर दोनों बच्चों का रात का सहारा बनने का फैसला किया और अपनी जान की परवाह न करते हुए हेलीकॉप्टर छोड़कर ट्रॉली में चढ़ गया.

कमांडो ने पूरी रात बच्चों के साथ रहकर उन्हें ढांढ़स बंधाया. मंगलवार को तड़के जब वायुसेना का एमआई 17 हेलीकॉप्टर वापस राहत एवं बचाव कार्य के लिए त्रिकुट पर्वत पहुंचा तो सबसे पहले दोनों बच्चों को बारी-बारी से अपनी गोद में बिठाकर गरुड़ कमांडो ने हेलीकॉप्टर में पहुंचाया जहां से वापस उन्हें सुरक्षित जमीन पर लाकर उतारा गया. वायुसेना ने अपने इस दिलेर गरुड़ कमांडो का नाम तो नही बताया है लेकिन उसकी इस मानवीय पहल की चारों ओर प्रशंसा हो रही है.

Related Articles

Back to top button