जब भी पाकिस्तान में इस शख्स को मिलती है बड़ी कुर्सी, तब भारत कर देता है सर्जिकल स्ट्राइक

पाकिस्तान की राजनीति में कुछ चेहरे ऐसे हैं जिनके सत्ता में आते ही भारत की सर्जिकल स्ट्राइक की गूंज सुनाई देने लगती है. बात चाहे रक्षा मंत्रालय की हो या ऊंचे पद की किसी अन्य कुर्सी की, जब-जब यह शख्स उभरा है, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा और निर्णायक सैन्य जवाब दिया है. इतिहास गवाह है कि भारत की सर्जिकल स्ट्राइक किसी बयानबाजी के बाद नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सत्ता के खास समीकरणों के साथ जुड़ी होती है. और उन समीकरणों में बार-बार एक नाम उभर कर सामने आता है. ख्वाजा आसिफ.
पेट्रोलियम मंत्री के पद पर थे, तब भी भारत ने धोया
खास बात यह है कि ख्वाजा आसिफ का नाम केवल 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक से नहीं जुड़ा. इससे पहले भी, जब वह 2008 में पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्री बने थे. भारत ने एक सीमित लेकिन सटीक जवाबी कार्रवाई की थी. जनवरी 2009 में भारतीय सेना ने पुंछ सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास स्थित ‘भट्टल पोस्ट’ पर पाकिस्तान की गोलीबारी का जवाब दिया था, जिसमें चार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे. यह ऑपरेशन भारतीय सेना की सटीक प्रतिक्रिया का प्रतीक बना, जो कि ख्वाजा आसिफ की कुर्सी संभालने के कुछ ही समय बाद हुआ.
भारत विरोधी बयानों के लिए मशहूर
इन घटनाओं को केवल संयोग नहीं कहा जा सकता. दरअसल, ख्वाजा आसिफ पाकिस्तान की सत्ता के उस तबके का चेहरा हैं, जो बार-बार भारत विरोधी बयानबाजी करता रहा है और आतंक को छिपे तौर पर समर्थन देता रहा है. यही वजह है कि जब भी वे अहम पद पर आते हैं, भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई और भी निर्णायक हो जाती है. हालिया ऑपरेशन सिंदूर स्ट्राइक को भी इसी श्रेणी में देखा जा रहा है. जब ख्वाजा आसिफ ने फिर से रक्षा और रणनीतिक मामलों में बढ़ती भूमिका निभाई, भारत ने छह पाकिस्तानी ठिकानों को एक साथ निशाना बना डाला.